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उल्टी गंगा

डॉ. सिंह एक्स–रे फिल्म को जांचते हुए, मरीज के बाहर खड़े रिश्तेदारों के पास आ गए।
‘‘सरदार जी! माता जी के कूल्हे की हड्डी का ।फ़्रैक्चर हो गया है, बिना ऑपरेशन ठीक नहीं हो सकता, और ऑपरेशन भी जल्दी होना चाहिए।
आपने आप को सँभालते, रिटायरमैंट के नजदीक पहुँचे हरभजन सिंह मुश्किल से बोले, ‘‘माता जी की उमर काफी हो गई है,क्या इस उमर में...?’’
डॉ.सिंह समझाने लगे, ‘‘इसके सिवाय चारा ही कोई नहीं ,रिस्क तो लेना पड़ेगा..मैंने इससे भी वृद्ध लोगों के ऑपरेशन किए हैं...वह बिल्कुल ठीक–ठाक फिर रहे हैं।’’
‘‘डॉ. साहब, माता जी मुझे बहुत प्यारी हैं....गर कहीं...और ऑपरेशन न करवाए तो कोई खतरा..।’’
‘‘नहीं...इस समय तो नहीं...गर ये लम्बे समय तक बिस्तर पर पड़े रहे तो उसकी कम्पलीकेशन्ज हो जाएँगे।’’
‘‘फिर भी डाक्टर साब,हिम्मत- सी नहीं पड़ती...वैसे खर्चा क्या होगा?’’
‘‘ऑपरेशन व अस्पताल स्टे बगैरा डाल कर साठ–सत्तर हजार के करीब तो हो ही जाएगा, आप फिक्र मत करो, मैं कुछ कम करवा दूँगा, फैमली फ़्रैण्ड होने का फायदा आपको जरूर दिलवाऊँगा।’’
‘‘सलाह करके बताता हूँ,’’ घबराहट में हरभजन सिंह पत्नी व दोनों बेटों को एक तरफ ले गया। गम्भीर विचार विमर्श हुआ। आखिर सरदारजी डाक्टर के पास आए, ‘‘हम मरीज को घर ले जाते हैं इस उमर में ऑपरेशन में कुछ ऊँचा–नीचा हो गया तो लोगों को क्या जवाब देंगे?’’
डाक्टर साहब आपने शान्त स्वभाव के उलट गर्म हो गए, ‘‘आपको पता है? आप क्या करने जा रहे है..आप इन्हें तिल- तिल मरता देखोगे, और कम्पलीकेशंज के इलाज पर हमसे ज्यादा पैसा खर्च करोगे।’’
‘‘नहीं,नहीं डाक्टर साहब,....मेरा गाँव वाला भाई बड़ा गिला करता रहता है कि बेबे को मेरे पास नहीं रहती...हमने सोचा इसे वहीं छोड़ आते है...वहाँ डिस्पैंसरी वाला डाक्टर रोज देख जाया करेगा...हमें आप छुट्टी दो और बताओ आपकी फीस कितनी हुई।
अनु–दीप्ति

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