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‘उन्नीसवाँ अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन, 2010’ सम्पन्न
 
   
     
 
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सुकेश साहनी
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चर्चा में
 
Dec,2007
 
दिनांक–09/12/ 2007 (रविवार) को ‘बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ’ के सभागार में अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच के तत्वावधान में आयोजित बीसवें अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सुप्रतिष्ठ कथाकार एवं दूरदर्शन पटना के निदेशक शशांक ने कहा कि लधुकथा साहित्य की ऐसी विधा है जिसके द्वारा कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक गंभीर और तीखी अभिव्यक्ति दी जा सकती है। लधुकथा आज के समय की माँग है। सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए पुन: के संपादक एवं कथाकार कृष्णानन्द कृष्ण ने कहा कि लघुकथा की प्रगति संतोषजनक तो नहीं कही जा सकती किन्तु निराश होने की भी आवश्यकता नहीं है। गुणवत्ता की दृष्टि और अंतर्वस्तु के स्तर पर कुछ नए रचनाकारों ने अच्छी पहल की है जो लघुकथा के आनेवाले शुभ समय की ओर संकेत करती है।
सत्र के प्रारंभ में सुप्रतिष्ठ कथाकार शशांक द्वारा वीणा–वादिनी के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात् श्री राजकुमार प्रेमी ने वाणी–वन्दना प्रस्तुत की। उसके बाद मंच के संयोजक प्रख्यात कथाकार डॉ0 सतीशराज पुष्करणा ने देश के विभिन्न भागों से आये सृजनकर्मियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि लघुकथा को सही और सटीक भाषा मिले, वर्तमान में लिखी जा रही कम लघुकथाएँ इस निकष पर पूरी उतरती हैं।
 
 
( 20 वें अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन उद्घाटन करते कथाकार शशांक, अध्यक्ष कृष्णानन्द कृृष्ण एवं डॉ0 सतीशराज पुष्करणा एवं नचिकेता ) इस अवसर पर लघुकथा के सर्वांगीण विकास में योगदान करने हेतु श्री राम ठाकुर दादा (जबलपुर) तथा डॉ0 उपेन्द्र प्रसाद राय को उनकी सद्य: प्रकाशित लघुकथा–संग्रह ‘‘नंगा नाचे मातादीन’’ को ‘डॉ0 परमेश्वर गोयल लघुकथा शिखर सम्मान तथा लघुकथा–समीक्षा के क्षेत्र में कार्य करने हेतु कथाकार कृष्णानन्द कृष्ण को ‘‘नागेन्द्र प्रसाद सिंह लघुकथा शोध–समीक्षा शिखर सम्मान एवं डॉ0 श्याम सखा श्याम (रोहतक) को ‘‘मंच–सम्मान’’ से सम्मानित किया गया। साथ ही साहित्य की सेवा करने हेतु डॉ0 राज कुमारी शर्मा ‘‘राज’’ गाजियाबाद, राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘‘बन्धु’’ रायबरेली, डॉ0 देवेन्द्र नाथ साह भागलपुर, राजकुमार प्रेमी एवं डॉ0 यशोधरा राठौर पटना को विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया। इसके पश्चात् कई महत्वपूर्ण पुस्तकों एवं पत्रिकाओं के विशेषांकों का लोकार्पण कार्य सम्पन्न किया गया जिनमें प्रमुख थे ‘बूँद–बूँद रोशनी’ एवं ‘‘चिन्दी–चिन्दी जिन्दगी’’ हायकू संग्रह (डॉ0 सतीशराज पुष्करणा, पटना),‘‘ऐसा भी होता है’’ लघुकथा, तथा उड़ गया पाखी एवं मेंहदी लिखे खत (डॉ0 शैल रस्तोगी, मेरठ), ‘‘रेत का सफर’ (राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’,),‘‘जाग गयी है शाम’ (डॉ0 हारुन रशीद ::अश्क’’) ‘‘हायकू: अध्ययन की दिशाएँ’’ (डॉ0 सतीशराज पुष्करणा)। इसके साथ ही ख्यातिलब्ध लघुकथाकार डॉ0 सतीशराज पुष्करणा की षष्टिपूर्ति के अवसर पर प्रकाशित ‘‘पुन:–अंक 18’’ (संपादक– कृष्णानन्द कृष्ण) का लोकार्पण किया गया।
 
 
( पुन:–18 का लोकार्पण करते कथाकार शशांक साथ में कृष्णानन्द कृष्ण एवं डॉ0 सतीशराज पुष्करणा एवं नचिकेता )
मध्य प्रदेश के जबलपुर से आये वरीय लघुकथाकार श्रीराम ठाकुर दादा ने लघुकथा में आये गुणत्मक बदलावों की चर्चा करते हुए कहा कि आनेवाला समय लघुकथा का होगा। दूसरे सत्र में ‘‘लघुकथा–लेखन की समस्यों’’ पर केन्द्रित श्री नागेन्द्र प्रसाद सिंह ‘‘लघुकथा–समीक्षा की स्थिति एवं संभावना’’ तथा कृष्णानन्द कृष्ण ने ‘‘लघुकथा का रचना–कौशल एवं प्रस्तुति योजना’’ शीर्षक आलेखों का पाठ किया । विचार विमर्श में डॉ0 उपेन्द्र प्रसाद राय, डॉ स्वर्ण किरण,तथा नचिकेता ने भाग लिया तथा सत्र का सफल संचालन डॉ0 सतीशराज पुष्करणा ने किया।
तीसरे सत्र की शुरूआत लघुकथाओं के पाठ से प्रारंभ हुआ जिसका संचालन कृष्णानन्द कृष्ण ने सफलतापूर्वक संपन्न किया। सत्र की अध्यक्षता डॉ0 जितेन्द्र सहाय एवं श्रीराम ठाकुर दादा ने की। इस सत्र में लगभग इकतालीस लघुकथाकारों ने अपनी लघुकथाओं का पाठ किया जिनमें प्रमुख थे–सर्व श्री डॉ0 सतीशराज पुष्करणा श्रीराम ठाकुर दादा,(जबलपुर) राजेन्द्रमोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’,(राय बरेली) डॉ0 राज कुमारी शर्मा ‘राज’ (गाजियाबाद) पुष्पा जमुआर, वीरेन्द्र कुमार भारद्वाज,,डॉ0 मधु वर्मा, प्रभुनारायण विद्यार्थी(,(झारखंड ) रामप्रसाद ‘अटल’ (जबलपुर), डॉ0 उर्मिला कौल (भोजपुर), नरेन्द्र कुमार सिंह, स्वाति गोदर, आलोक भारती, ई0 केदारनाथ, डॉ0 स्वर्ण किरण, सतीशचन्द्र भगत, नरेन्द्र प्रसाद नवीन,, देवेन्द्रनाथ साह (भागलपुर), सूर्यदेव पाठक ‘‘पराग’’(गोरखपुर), रामयतन यादव, अरुणेन्द्र भारती, भगवान सिंह ‘भास्कर’ डॉ0 यशोधरा राठौर, डॉ0 तारा सिंह (मुम्बई) आदि। पठित लघुकथाओं पर नागेन्द्र प्रसाद सिंह, डॉ0 स्वर्ण किरण और गीतकार नचिकेता ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हए डॉ0 सतीशराज पुष्करणा, श्रीराम ठाकुर दादा,(जबलपुर) राजेन्द्रमोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’,(राय बरेली), रामप्रसाद ‘अटल’, डॉ0 यशोधरा राठौर, की लघुकथाओं की सराहना की। खासकर प्रेरणा ( डॉ0 यशोधरा राठौर ) लघुकथा के शिल्प और उसकी प्रस्तुति की सराहना करते हुए कथानक के चुनाव पर सावधानी बरतने की सलाह लघुकथाकारों को दी।

सम्मेलन के अंतिम सत्र में काव्य पाठ का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता डॉ0 राजकुमारी शर्मा ‘राज’ ने की। अध्यक्ष मंडल के अन्य सदस्य थे डॉ0 स्वर्णकिरण, डॉ0 सतीशराज पुष्करणा, सत्यनारायण, डॉ0 तारा सिंह, मुंबई, राजेन्द्रमोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’ रायबरेली, एवं डॉ0 हारून रशीद। संचालन किया राजकुमार प्रेमी ने। सर्व श्री सत्यनारायण, डॉ0 सतीशराज पुष्करणा श्रीराम ठाकुर दादा, राजेन्द्रमोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’डॉ0 राज कुमारी शर्मा ‘राज’पुष्पा जमुआर, वीरेन्द्र कुमार भारद्वाज,,डॉ0 मधु वर्मा, प्रभुनारायण विद्यार्थी, डॉ0 उर्मिला कौल, नरेन्द्र कुमार सिंह, स्वाति गोदर, आलोक भारती, ‍ई0 केदारनाथ, डॉ0 स्वर्ण किरण, सतीशचन्द्र भगत, सूर्यदेव पाठक ‘‘पराग’’गोरखपुर,, भगवान सिंह ‘भास्कर’ डॉ0 यशोधरा राठौर, डॉ0 तारा सिंह तेजनारायण कुशवाहा, हारून रसीद अश्क, प्रमुख थे।
इस अवसर पर सर्वश्री पुष्करणा ट्रेडर्स की स्वमिनी श्रीमती नीलम पुष्करणा द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी लगायी जिसकी सराहना मुक्त कंठ से की गयी। पुस्तकों की अच्छी बिक्री हुई।
यह सम्मेलन कथालेखिका कुर्रतुल एन हैदर, कमलेश्वर, डॉ0 विजेन्द्र अनिल, शैल रस्तोगी, श्यामा शरण, तथा राजेन्द्र प्रसाद सिंह की पुण्यस्मृति को सादर समर्पित था। साहित्य सचिव वीरेन्द्र कुमार भारद्वाज के धन्यवाद ज्ञापन के साथ सम्मेलन संपन्न हुआ। -वीरेन्द्र कुमार भारद्वाज
 
 
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