शाम होते ही गाँव के मन्दिर की घण्टी बजने लगी। तभी उसके समीप स्थित मस्जिद में मग़रिब की अज़ान होने लगी। अज़ान की आवाज मन्दिर की घण्टी की आवाज से दबने लगी। अगले दिन सुबह मुल्ला जी ने मुसलमानों से सम्पर्क किया और मस्जिद में लाउडस्पीकर लगा दिया गया।
दूसरी शाम मस्जि़द की अज़ान की आवाज से मन्दिर की घण्टियों की आवाज दब गई। अब पुजारी जी ने हिन्दुओं से सम्पर्क किया और शीघ्र ही मन्दिर में भी लाउडस्पीकर लग गया।
अगली शाम वातावरण में घण्टी की आवाज और मस्जि़द की अज़ान की आवाज आपस में गड्मड् हो गई और अब न तो घण्टी की आवाज सुनाई दे रही थी और न ही मस्जि़द की अज़ान की आवाज़ । वातावरण में सिर्फ़ एक शोर- सा व्याप्त था।
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