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लघुकथाएँ - देश -आनंद हषु‍र्ल

संतरी पहरे पर था। उसकी बंदूक पहरे पर थी। वह पहरे पर इसलिए था कि उसे पहरे पर होने का वेतन मिलता है।
सतंरी जिसके पहरे पर था, वह चीज उसकी पीठ के पीछे थी और इस तरह वह अपनी पीठ के पीछे की चीज के लिए जवाबदेह था। संतरी अपने सामने की बस, उस चीज को देख पाता था, जो सामने की बस, उस चीज के लिए खतरा हो सकती थी। उसकी बंदूक का देखना और उसका देखना एक जैसा था।
एक दिन संतरी के सामने बलात्कार हुआ। अंधेरा...तीन चमकते लड़के...कार....एक बुझी हुई लड़की..... और संतरी को वह नहीं दिखा, क्योंकि उसकी पीठ के पीछे की चीज को उस बलात्कार से कोई खतरा नहीं था।
एक दिन एक लड़का संतरी के पैरों को और उसकी बंदूक को झकझोरता रहा कि उसे बचा लें। पर संतरी और बंदूक –दोनों को वह नहीं हिला पाया और मारा गया। चार गुंडों ने उसे संतरी की आंखों के सामने काट डाला। वह गरीब पावभाजी बेचने वाला लड़का था। उसका दोष सि‍र्फ़ इतना था कि अपने ठेले में पावभाजी खाती लड़कियों से छेड़छाड़ करते गुंडो का उसने विरोध किया था और उसने अपनी जान दे दी थी। किसी स्त्री से बलात्कार के खिलाफ वह लड़का जान से बड़ी कोई चीज दे सकता था।
संतरी अपना काम कायदे से करता है। उसकी पीठ के पीछे की चीज सुरक्षित है वह बहुत कर्तव्यनिष्ठ संतरी है, पर वह आदमी नहीं है। वह रोबोट है।

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