चार वर्ष का नन्हा टोडी ‘माँ का दुलारा , बाबा का प्यारा , बहन का निराला राजा भैया !’
पाँचवाँ वर्ष का होते ही वह स्कूल जाने लगा है । तब से ये सारे विशेषण छू -मन्तर हो गए । स्कूल जाते समय माँ हिदायत देती- कायदे से रहना ।नन्हा समझ नहीं पाया-कायदा किसे कहते हैं ।
बाबा बोले- ज़्यादा बातें नहीं करना । नन्हा अचकचा गया-बाबा को क्या हो गया है । मेरी बातें सुनकर हँसते थे ,गले लगाते थे ; वे ही कह रहे हैं-चुप रहना ।
स्कूल का प्रथम दिन ।बच्चे धीरे-धीरे स्कूल के प्रांगण में कदम रख रहे थे ।कक्षा में वे कुछ देर खामोश रहे । नज़रें ऊपर उठीं । एक दूसरे से टकराईं ।चेहरो पर धूप –सी फैल गई । कक्षा में मैडम के घुसते ही बच्चे अपनी जगह खड़े हो गए । चहल-क़दमी ,चहचाहट से मैडम के माथे पर बल पड़ गए । नन्हा टोडी मन ही मन दोहराने लगा- बातें नहीं करना है, कायदे से रहना है ।
दो बच्चों ने एक दूसरे को देखा ।साथ-साथ मुस्काने लगे ।मैडम को उनकी भोली मुस्कान काँटे –सी चुभ गई । मैडम ने उनमें से एक का कान उमेठ दिया; दूसरे को मुर्गा बना दिया –“अब भूल जाओगे सारी शैतानी।”
नन्हें टोडी के दिमाग ने फिर ढूँढ़ना शुरू कर दिया-यह शैतानी क्या होती है ? क्या हँसने को …शैतानी कहते हैं ? वह गुमसुम हो गया ।
वह घर पहुँचा तो शरीर कम, मन ज़्यादा थक चुका था ।घर आकर उसने राहत की साँस ली । “बेटा ,थक गये होगे। खाना खाकर सो जाओ”- माँ ने कहा ।
“माँ , मैं आज नहीं सोऊँगा , आप सो जाओ”- कहकर वह अपने खिलौनों में उलझकर मन की थकान मिटाने लगा ।
“ उफ ! क्या खटपट कर रहा है? मुझे सोने दे और तू भी सो जा;वरना तेरी मैडम से कह दूँगी।”
यह मैडम , माँ और मेरे बीच में कहाँ से आ टपकी ! नन्हें को दिखाई देने लगा- वह लड़का जिसका मैडम ने कान मरोड़ा था । वह डर गया ।
नन्हा टोडी स्कूल जाता रहा ,पर सहमा-सहमा । अब कक्षा में एकदम चुप रहने लगा । मैडम ने पूछा- “पाँच फलों के नाम बताओ?”और उसकी तरफ़ इशारा किया-“तुम हमेशा चुप बैठे रहते हो । खड़े होकर बताओ।”
नन्हा टोडी जानता था; मगर मैडम की घुड़की से हकलाने लगा ।
मैडम ने तुरन्त उसकी डायरी उठाई और उसमें लिखा –“आपका बच्चा बहुत सुस्त है , बहुत गुमसुम रहता है । हकलाता भी है ।तुरन्त किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाइए ।