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सुकेश साहनी
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रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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स्टेटस

वह घर पहुँचा तो पत्नी मुँह लटकाए हुए बर्तन साफ कर रही थी---" आज कामवाली नहीं आई ?"
"अब आएगी भी नहीं ".
"अब क्या हो गया ? पहले तो कामवाली हमारी जात पता लगने पर भाग जाती थी ...पर यह नई कामवाली तो अपनी जात की है ... यह क्यों भाग गई ?"
" हमारी जात की है तो क्या हमारे सर पर चढ़ कर बैठेगी ?हमारे स्टेटस की हो जायेगी ? .....अब तक तो चाहे जब कुरसी पर बैठ जाती थी ....मुझे बुरा तो लगता था पर यह सोच कर चुप हो जाती थी की बहुत परेशानी के बाद तो इसे पा सकी हूँ कहीं यह भी न भाग जाये ....पर आज तो वह टी वी देखने के लिए सोफे पर बैठ गई ...पारुल ने कहा – “सोफे पर नहीं ,कारपेट पर बैठ जाओ। " तो बस तुनक कर बोली ---"अब तक जब ऊँची जात के लोग हमें अपने से नीचा समझते थे तो बहुत गुस्सा आता था ,लेकिन पारुल हम - तुम तो एक ही जात के हैं ,तुम हम से अछूतों का -सा व्यव्हार क्यों कर रही हो ? ....तुम चार अक्षर पढ़ गए तो हम से ऊँची जात के तो नहीं हो गए ? ....नहीं करना तुम्हारा काम ."
कह कर वह पैर पटकती हुई बाहर चली गई ।

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