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सुकेश साहनी
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खरीदार
कम्प्यूटर इंजीनियर भतीजे की बारात में डायबीटिज के पेशेण्ट मणिकबाबू को रात साढे दस बजे चक्कर आने लगा । दवाई खाने के लिये दो रोटी के बार- बार के अनुरोध को लहरौला गाँव के दुल्हन पक्ष ने ठुकराते हुए बोले ब्याह के बाद भोजन ही मिलेगा। दुल्हन पक्ष के हठ को देखकर मितराज छह सौ रुपये की किराये की गाड़ी में बेहोश मणिक बाबू को लेकर घर वापस आ गये । मणिकबाबू की दशा देखकर घर की औरते रोने लगी । मणिक बाबू लड़खड़ाती आवाज में बोले एक रोटी लाओ दवाई खाना है । गीता कटोरी में एक रोटी दूध में मसलकर लायी और चम्मच से पेट में उताकर जल्दी से दवाइयाँ भी उतार दी । आधे घण्टे के बाद मणिकबाबू पूरी तरह होशा में आ गये ।
मितराज-अब कैसा लग रहा है मणिकबाबू ?
मणिकबाबू-काफी राहत महसूस हो रही है बहनोई ।
मितराज-दो बज गये है सो जाओ । इतनें में दूल्हे की माँ प्रेमप्यारी आ गयी और बोली ननदोई देवरजी को क्या हो गया?क्यों चले आये बारात छोड़कर?
मितराज-तबियत खराब हो गयी थी जान बचानी थी इसलिये भाग आये ।
प्रेमप्यारी-दवाई ले लेते । औडिहार बाजार तो पास में है लहरौला गाँव से ।
मणिकबाबू-दवाई थी पर रोटी नही थी ना भौजाई।
प्रेमप्यारी-क्या............?
मणिकबाबू-दूल्हा खरीद लिया है दुल्हन के बाप ने मोटी रकम देकर तो भला उसे बारातियों की क्यों फिक्र होगी कोई मरे या जिए ? दूल्हे के बाप को भी तो फिक्र नहीं हुई ना?थी।


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