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लघुकथाएँ - देश - डॉ0 गणेश खरे
प्रतिनियुक्ति
एक सेठ जी नगर के जाने माने ज्योतिषी के पास जाकर कहने लग, ब्राह्यण देवता! आपको तो सब लोग त्रिकालज्ञ कहते हैं, हमारा भी हाथ देखकर बताइए, अब मुझे अपने वर्तमान और भविष्य की सुरक्षा के के लिए और क्या करना चाहिए।
अभी तक क्या–क्या कर रखा है सेठ जी आपने? ज्योतिषी ने प्रश्न किया।
बहुत कुछ नहीं केवल माता पिता की सेवा के लिए दो नर्सें नियुक्त कर दी हैं। घर का काम काज करने के लिए चार–पाँच नौकर अलग से हैं। एक पंडित भगवान की पूजा करते हैं और हमारे पुरोहित हमारे मंगल के लिए मृत्युंजय मंत्र का जप सदा करते रहते हैं।
तो क्या अब आपका वर्तमान और भविष्य सुरक्षित हो गया है?
यह बात तो आप बताएँ महाराज!
मेरी दृष्टि से अभी दो कमियाँ रह गई हैं। पंडित जी ने गंभीरतापूर्वक कहा।
कौन–कौन सी?
अब कुछ ही दिनों में वृद्धावस्था आने वाली हैं आप आप तो जानते हैं कि वह आकर कभी वापस नहीं जाती, व्यक्ति को अपने साथ ले जाती हैं, जवानी तो कल चली गई, आपको पता ही नहीं होगा। वृद्धावस्था में शरीर की ऊर्जा कम होते ही नाना प्रकार के रोग और शोक घेर लेते हैं तब न तो स्वादिष्ट भोजन अच्छा लगता है और न गहरी, मीठी नींद ही आती है।
आप बिल्कुल सही बता रहे हैं पंडित जी! सेठ जी ने प्रसन्न मुद्रा में कहा।
तो भविष्य में आने वाली इस विपदा से निपटने के लिए आपने क्या तैयारी की? ज्योतिषी ने प्रश्न किया।
यही बात तो पूछने के लिए मैं आपके पास आया हूँ। कृप्या बताएँ?
मेरी दृष्टि में तो आपको अब दो कर्मचारी और रख लेने चाहिए। एक आपके लिए स्वादिष्ट भोजन करेगा और दूसरा आपके लिए मीठी और गहरी नींद सोएगा।
ये आप क्या बकवास कर रहे हैं। कहीं ऐसा होता है। कुछ काम ऐसे होते हैं जो खुद ही किए जाते हैं।
तब आपने माता–पिता की सेवा के लिए नर्सें क्यों रख छोड़ी हैं? पूजा–अर्चना के लिए दूसरों पर क्यों भरोसा कर रहे हैं? आप भले ही करोड़पति हों पर इतनी बात तो समझ लेनी चाहिए कि दूसरों की सेवा,पूजा, अर्चना, आराधना, मंत्र जप आदि के कार्य तभी फल देते हैं जब वे खुद अपने हाथ से किए जाएं। भावनाओं के क्षेत्र में प्रति नियुक्ति नहीं होती सेठ जी!
इस बार सेठ जी पूर्णत: मौन थे।
 
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