राम गोपाल का पुत्र कँवल चार लड़कियों के बाद पैदा हुआ था । इस कारण ही वह सारे परिवार का लाड़ला था। बहुत लाड़–प्यार से कँवल बुरी आदतों का शिकार हो गया। लेकिन इकलौता पुत्र होने के कारण रामगोपाल उसे कभी कुछ न कहता।
एक दिन राम गोपाल की जाँघ पर फोड़ा निकल आया। रामगोपाल के लिए चलना भी कठिन हो गया। डाक्टर ने फोड़े को दबा कर मवाद निकाल देने की सलाह दी, लेकिन इससे होने वाले दर्द के बारे में सोचकर रामगोपाल की हिम्मत न होती। मगर जब पीड़ा असहनीय हो गई तो उसने डाक्टर की सलाह मान ही ली। जहर बाहर निकल जाने से उसे सुकून का अनुभव हुआ।
उस दिन पहली बार रामगोपाल ने अपने पुत्र को बुलाकर उसकी डाँट–डपट की ।