गतिविधियाँ
 
 
   
     
 
  सम्पर्क  
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com
 
 
 
बेटी
मुझे और मेरे दोस्त रामलाल को एक विवाह के रिसैप्शन में जाना था। हम बस पकड़ने के लिए बस स्टैंड पर पहुँचे। वहाँ बस की इंतजार करते लोगों में पन्द्रह–सोलह साल की एक लड़की भी थी ! गोरी–सी, खूबसूरत नैन–नक्श,लम्बा कद, सेहतमंद शरीर। मेरे दोस्त रामलाल की नज़र उस पर पड़ी तो जैसे अटककर रह गई। वह उस तरफ लगातार देखता ही जा रहा था। अगर उसकी नजर एक पल भी हटती तो दूसरे पल फिर लड़की की तरफ होती।
उस लड़की ने लाल रंग की पैंट और सफेद टी–शर्ट पहनी हुई थी। उसने काला स्कार्फ़ सिर पर बाँध था और सफेद फ्लीट पाँव में डाले हुए थे। आँखों पर उसने हल्के नीले रंग वाली ऐनक लगाई थी।
अपने दोस्त रामलाल को पन्द्रह–सोलह साल की लड़की को निहारते देखकर मुझे परेशानी–सी ही नहीं हुई, बल्कि मैं बहुत शर्म महसूस कर रहा था। लगता था कि लड़की को भी रामलाल के देखने का पता लग गया था। उसने भी कई बार मुड़कर रामलाल की तरफ देखा और गुस्से से मुँह मोड़ लिया।
आखिर लड़की से रहा न गया। वह बोली, ‘‘शर्म नहीं आती सफेद दाढ़ी को!’’
रामलाल का जैसे इस बात की तरफ ध्यान ही नहीं था। वैसे वह अब भी उस तरफ ही देख रहा था।
लड़की की बात सुनकर बस की इंतजार करते और लोग भी इधर देखने लगे। मेरी परेशानी और बढ़ गई। लड़की की परेशानी के साथ ही शायद उसका गुस्सा भी बढ़ गया था।
मैंने आगे बढ़कर रामलाल को बाँह से पकड़कर झिंझोड़ते हुए कहा, ‘‘यह क्या हो रहा है?’’
रामलाल जैसे नींद से जागा हो। वह अभी भी लड़की की तरफ देखते हुए बोला, ‘‘मैं सोच रहा था कि अगर इस तरह के कपड़े इसकी हम उम्र मेरी बेटी ने पहने हों तो वह कितनी अच्छी लगे।’’
 
Developed & Designed :- HANS INDIA
Best view in Internet explorer V.5 and above