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सजा
वृद्ध थ्री व्हीलर से उतरकर गाड़ी वाले को पैसे देने के लिए अपनी जेब टटोलने लगे थे, तभी दूसरे थ्री व्हीलरवाले ने एकाएक आकर वृद्ध को जो टक्कर लगायी तो वे धड़ाम से नीचे गिर गये। उठने में असमर्थ वे ज्यों के त्यों गिरे पड़े थे, उनके ऑटोरिक्शावाले ने अपनी सीट से उतरकर देखा, घुटनों के पास का पायजामा फट गया था और उनके घुटने लहूलुहान हो गये थे। चेहरे पर भी चोट आयी थी। इतनी ही देर सिर पर गूमड़.... वे बेतरह काँप रहे थे।
‘‘ओए भूतनी के, तूने यह क्या किया हरामी !’’ वह धक्का लगानेवाले ।ऑटोरिक्शावाले से बमका था। वृद्ध को थामकर अपने रिक्शे से टिकाते हुए वह चोट पहुँचाने वाले स्कूटरवाले पर टूट पड़ा था, ‘‘ साले पीकर चलाते है और लोगों की जान लेने पर तुले रहते हैं। मैं तेरे दाँत तोड़ डालूँगा, पूरी बत्तीसी झाड़ दूँगा, क्या घिघिया रहा है !’’
पिये हुए ऑॅटोरिक्शावाला भी काँप रहा था, उसका स्वर दयनीय हो उठा था और वह हाथ जोड़े खड़ा था।
‘‘हाथ जोड़ने से क्या होता है, देख रहा है, तूने बाबूजी की क्या दुर्दशा बना दी है!’’ दयनीय स्कूटरवाले के बाल उसकी मुट्ठी में थे।
‘‘सुन भई, छोड़ दे इसे, मैं कहता हूँ इसे छोड़ दे इसे। कोई बड़ी सजा दो भाई’’ वृद्ध सँभलते हुए कह रहे थे।
‘‘बड़ी सजा!!’’ ऑॅटोरिक्शावाले के हाथ के बालों की पकड़ ढीली हो गयी थी, वह घायल वृद्ध की ओर प्रश्नात्मक दृष्टि से देख रहा था।
‘‘हाँ बड़ी सजा ! इससे कसम ले लो, कि आज के बाद यह शराब की एक घूँट अपने हलक से नीचे नहीं उतारेगा। यही वायदा इसकी सजा होगी’’
और वृद्ध थ्री व्हीलर वाले को किराया चुकाकर लँगड़ाते से अपनी दिशा की ओर मुड़ चले थे।
 
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