संसद में यह अधिनियम पास हो गया था कि बाप-दादा की सम्पत्ति में बेटियों का भी हक़ है !यदि वे चाहे तो अपने कानूनी हक़ की लडाई लड़ सकती हैं !भाई बेचारों के बुरे दिन आ गए !यह हिस्सा –बाँटा नियम कहाँ से आन टपका !कुछ सहम गए ,कुछ रहम खा गए ,कुछ घपलेबाजी कर गए 'कुछ चाल चल गए !माँ-बाप मुसीबत में फँस गए !बेटी को दें तो बेटे से दुश्मनी,न दें तो उसके प्रति अन्याय !जिनके माँ -बाप ऊपर चले गए उनके लड़कों ने संपत्ति की कमान संभाली !निशाना ऐसा लगाया कि माल अपना ही अपना !
सोबती की शादी को दस वर्ष हो गए थे !सब समय भाइयों के नाम की माला जपती रहती --मेरे भाई महान हैं 'उनके खिलाफ कुछ नहीं सुन सकती ! लाखों में एक हैं वे !राखी के अवसर पर दोंनों भाइयों की कलाई पर सोबती स्नेह के धागे बाँधती !वे भी भागे चले आते !उत्सव की परिणिति महोत्सव में हो जाती !
इस साल भी तीनों भाई- बहन एकत्र हुए !छोटा भाई कुछ विचलित सा -था !ठीक राखी बँधने से पूर्व उसने एक प्रपत्र बहन के सामने बढा दिया --'दीदी इस पर हस्ताक्षर कर दो !
'हस्ताक्षर करने से पूर्व उसने उसे पढ़ना उचित समझा !लिखा था –‘मैं इच्छा से पिता की संपत्ति में से अपना हक़ छोड़ रही हूँ !'
सोबती एक हाथ में प्रपत्र अवश्य पकड़े हुए थी परन्तु हृदय में उठती अनुराग की अनगिनत फुआरों में भीगी सोच रही थी --'बचपन से ही मैं अपने हिस्से की मिठाई इन भाइयों के लिए रख देती थी और ये शैतान अपनी मिठाई भी खा जाते और मेरी भी !उनको खुश होता देख मेरा खून तो दुगुना हो जाता था !आज ये बड़े हो गए तो क्या हुआ ,रहेंगे तो मुझसे छोटे ही !यदि ये मेरा सम्पत्ति का अधिकार लेना चाहते हैं ,तो इनकी मुस्कराहटों की खातिर प्रपत्र पर हस्ताक्षर कर दूँगी !मुझे तो इनको खुश देखने की आदत है.'!
सोबती ने बारी बारी से दोनो भाइयो की ओर देखा ओर मुस्कराकर प्रपत्र पर हस्ताक्षर कर दिए !