महान धार्मिक स्थल का भव्य रेलवे स्टेशन। चारों ओर जगमग जगमग। मुख्य वेटिंग हॉल का विशाल कक्ष चटख रंग की पेंटिंगों से भरा था। वे मधुबनी कला कृतियों के साथ ऊँचे वृक्षों की शृंखला वाले चित्र थे जो झूठी हवाओं का एहसास करा रहे थे। पर्यटक सूचना केन्द्र में विदेशी सैलानियों को विशिष्ट सेवाएँ देते कर्मचारी। रह–रह कर हवा में गूँजती गाड़ियों के आने का प्रसारण, सधी और सपाट आवाजें, दिन के उजाले में भी जलते हुए मर्करी हेलोजन फ्लड लाइट के हांडे नियान साइन के विद्युत प्रवाह में चमकते दिशायन। सम्भ्रान्तों का आवागमन,सभी कुछ अति भव्य।
प्लेटफार्म के अन्त में रक्षा व्यवस्था की अति सुरक्षित जगह, लाल ईंटों की बनावट वाली ब्रिटिश काल की याद दिलाती हुई। जरायम पेशा लेागों की पैदायशी जगह जहाँ दिन दहाड़े ठगी, पॉकिटमारी तो साधारण बात है। चाय की प्यालियों तथा बिस्कुटों से जहरखुरानी की वारदातों को पटाने का अन्जाम दिया जाता है। अपराधियों की जन्मस्थली। सुरक्षा व्यवस्था का बोर्ड चमचमा रहा था। मूँछों को एँठते हुए मेज के गिर्द बैठे हुए सरकारी बिल्ला लगाए इसके गुर्गे आधे प्लेटफार्म तक पसरे हुए।
तभी शताब्दी की विशिष्ट ट्रेन धड़धड़ाती हुई आकर प्लेटफार्म पर रुक गई। एयरकन्डीशन डिब्बों की कतारें। राजधानियों को जोड़ने वाली मंत्रियों, उद्योगपतियों, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों तथा स्मगलरों को ढोने वाली। देखते ही देखते एक नई दुनिया बस गई स्टेशन पर जहाँ थोड़ी देर पहले वीरानी पसरी थी। सुचिक्कण देहयष्टि, स्वर्णलसित, नयनाभिराम परिधानों में सजी–सँवरी आकृतियाँ उतर रही थीं जो महानगर में धँस जाने को उद्यत थीं। वायु अमरीकी सेंटों की तीखी खुशबू से भर उठी थी।
पूरी सुरक्षा व्यवस्था एलर्ट थी। कीमती सामान ब्रेकवान से उतारे जा रहे थे। वहीं दो लाशों की बरामदी में पुलिस लगी थी। उसमें एक लाश किसी सेठ सरीखे व्यक्ति की थी, दूसरी साधारण, सम्भवत: भिखमंगे की। वैसे ही भिखमंगे की जिनको साधारण जन से अलग नहीं किया जा सकता। सेठ की लाश सुरक्षा मुख्यालय लाई जा रही थी ताकि उचित कारवाही हो सके। सेठ के शरीर पर सभी कुछ था केवल भीतर जान नहीं थी। भिखमंगे की लाश जानी पहचानी थी जो स्टेशन पर ही पैदा हुआ था और आज मर गया था या मार डाला गया था।
चेक बुक, रत्नों की अँगूठियाँ, गले में सोने की चैन हाथ की कलाई पर कीमती घड़ी, सूटकेस सहित स्ट्रेचर पर लदी सेठ की लाश सुरक्षा मुख्यालय के माल खाने पर रुकी। भिखमंगे की लाश बाहर ही पड़ी रही।
पलक झपकते परिवर्तन–सा घटित हुआ।
अब तक मालखाने से निकाली जा रही सेठ की लाश किसी भिखमंगे में बदल चुकी थी। अब एक ही जगह दो भिखमंगों की लाशें थीं। दोनों लाशों में कोई अन्तर नहीं था। सेठ की लाश को राख से मलकर भिखमंगे में परिवर्तित कर दिया गया था। चीकट जाँघिए में नंगे बदन वाली थुल थुल लाश, जिसकी कलाई में थोड़ी देर पहले कीमती घड़ी थी, गले में सोने की चैन तथा रत्नजटित अँगूठियाँ थीं ।इससे विहीन होकर सेठ भिखमंगे से भी ज्यादा बदतर भिखमंगा लग रहा था।
पुलिस पंचनामा तैया कर रही थी।
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