गतिविधियाँ
 
 
   
     
 
  सम्पर्क  
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com
 
 
 
लघुकथाएँ - देश - पम्पोश कुमार
खेल
चुलबुली को खेलने जाने की जल्दी है।स्कूल से जल्दी घर जाने के जतन में है। आखिरी घंटे की आखिरी घडियाँ। वह घात लगाये बैठी है कि कब सुनाई दे उस मधुर घंटे की आवाज़ जैसे कि उसकी माँ के लिए मंदिर का घंटा।तभी उसके दिवास्वप्नों पर हुआ है वज्रपात। बड़ी मैडम आ गयी हैं। “कल बच्चे जायेंगे मन्त्री जी की अगवानी में।
“वहाँ क्या होगा?” चुलबुली ने चटपट पूछा। मन में सोचा क्या पता कल कितना ज़्यादा खेल हो। जवाब मिला- “सबसे पूछेंगे वो मन्त्री जी कि देशको दुनिया की सुपर पावर कैसे बनाओगे तुम लोग? फिर कहेंगे कि शपथ लो कि तुम इस देश को सभी दुखों से आज़ाद करने का संकल्प लेते हो। तुम सर्जक बनोगे। तुम बच्चे लोग ही हमारी आशा हो।”
चुलबुली सोच में पड़ गयी !क्या सिर्फ़ बच्चे लोग ही इन भारी कामों के लिए हैं। जरूर ये बड़े लोग हमें ऐसे कामों में फँसा कर स्वयं खूब खेलने -कूदने वाले हैं। वह फिर पूछ बैठी -“क्या ये मन्त्री जी खेलने को तरस गये हैं या फिर बचपन से अभी तक ……“.बड़ी मैडम की घूरती निगाहों से सकपका गई।तो क्या बड़ी मैडम भी वैसे ही ...
000
 
Developed & Designed :- HANS INDIA
Best view in Internet explorer V.5 and above