गतिविधियाँ
 
 
   
     
 
  सम्पर्क  
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com
 
 
 
अर्धांगिनी
बड़े भैया की शादी तब हुई थी, जब वे नौकरी करने लगे थें इसलिए उनकी पत्नी सुंदर भी है और पढ़ी–लिखी भी। छोटे भाई की पत्नी हालांकि अधिक पढ़ी–लिखी नहीं है, पर उसके वस्त्र–आभूषण उसे किसी से कम नहीं दिखाते। मेरी पत्नी बहुत भोली–सी है, अनपढ़ है, अधिक सुंदर भी नहीं, परंतु, मैं बहुत डरता हूँ उससे। शायद उससे भी अधिक चाहती है वह मुझे।
बड़े भैया शहर में हैं, छोटा भाई अपनी ब्याहता के साथ घर पर ही रह रहा है। पता नहीं, इन दिनों दोनों भाइयों की दृष्टि में मैं क्यों अखड़ रहा हूँ। सेवानिवृत्त बूढ़े पिता मेरे साथ रहते हैं, बूढ़ी माता मेरी पत्नी के कार्यों में हाथ बँटाती है, इससे दोनों भाई कुढ़ते रहते हैं। शहर से भाभी आती हैं, तब तानें मारती हैं। इधर, छोटा भाई भी बात–बात पर फब्तियाँ कसता है। दोनों की नजरों में है कि मैं बाबूजी के पेंशन से अपने जवान होते बेटे–बेटियों की पढ़ाई का खर्चा चलाता हूँ। मेरा दिमाग इन दिनों बेहद भारी रहता है। मन करमा है या तो भाइयों के सिर फोड़ दूँ या, आत्महत्या कर लूँ। कभी–कभी तो सोचता हूँ कि बाबूजी से कह दूँ कि वे अलग बंदोबस्त कर लें। आखिर, दोनों भाइयों में से कोई उन्हें रखना भी चाहे, तब न वे उनमें रहें।
घर में मन नहीं लगता है। रात–दिन की चख–चख से मन भिन्ना -सा गया हैं शहर से भाभी भी आई हुई हैं, छोटा भाई भी उन्हीं की तरफ है।
देर रात को घर लौटा, तो पत्नी अब तक जागी मेरी प्रतीक्षा कर रही थी। खाने पर बैठा। पत्नी ने पंखा झलते हुए कहा, ‘‘बाबूजी भी आजकल बड़े उदास रहते हैं, आप भी देर से घर आ रहे हैं।’’
‘‘तो क्या करूँ!’’ मैं कुपित होकर चिल्ला पड़ा, ‘‘तुम्हें मेरा कष्ट नहीं दिखाई देता, सब तो मुझमें ही दोष देखते हैं। कह दो बाबूजी को, जहाँ मन है, जाएँ।’’ मैं खाना छोड़ सिर थामकर बैठ गया।
कमरे की उमस बढ़ बई। पत्नी ने पंखा झलना छोड़ दिया। उसने जैसा ही मेरे माथे पर हाथ रखा, मैंने एकबारगी चाहा कि उसे झटक दूँ और खाने पर से उठकर चला जाऊँ। किंतु जैसे ही सिर उठाया, देखा, उसकी आँखों से आँसू की लम्बी धार बह चली है।
‘‘मैं आपको कैसे दोष दूँगी पति के कष्ट को पत्नी समझती नहीं, भोगती है। मुझे बाबूजी की हालत देखकर रोना आता है। अब,इस उम्र में कहाँ जाएँगे वे।’’ उसकी भर्रायी आवाज मेरे कलेजे के टुकड़े कर गई। मैंने एकबार उसे गौर से देखा और उसकी गोद में चेहरा छुपा लिया।
-0-
 
Developed & Designed :- HANS INDIA
Best view in Internet explorer V.5 and above