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लघुकथाएँ - देश -मालती बसंत
बुढ़ापे की दौलत
दो बूढ़े अपने–बेटों की चर्चा में मस्त थे। एक ने बोला, ‘‘मेरा बेटा अमेरिका में है, वहाँ डॉलर में इतना धन कमाता है कि यहाँ उसका मूल्य लाखों रुपए के बराबर होता है।’’ दूसरा बूढ़ा भी कम न था उसने कहा ‘‘अरे मेरा बेटा तो अरब देश में रहता है, वहाँ तो सोना, बारिश की तरह बरसता है।’’
तीसरा एक प्रौढ़ आदमी जो उनकी बातें सुन रहा था उससे रहा न गया बोला , विदेश में रह रहे बेटों की लाखों की कमाई तुम लोग के किस काम की है? बुढ़ापे की दौलत तो संतान होती है, जो बुढ़ापे में दुख बीमारी में सहारा देती है। मेरा बेटा थोड़ा ही कमाता है, लेकिन हमारे साथ रहकर सुख–दुख का साथी बनता है।’’
तीसरे आदमी की बातें सुनकर अमेरिकन बेटे के पिता और अरबी बेटे के पिता बगले झाँकने लगे।
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