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सुकेश साहनी
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चारा
जब फोन दोबारा आ गया और पत्नी ने भी जोर डाला कि अगर कोई तुम्हें कुछ मुफ्त में दे रहा है तो छोड़ते क्यों हों.... आखिर लुधियाना जाने का फैसला कर ही लिया गया...मन में सोचा और पत्नी से कह भी दिया, ‘‘चलो! एक तो लुधियाना की सैर हो जाएगी और दूसरे तुम्हारा ‘गिफ्ट–पैक’ भी लेते चलेंगे।’’ जब से उस खूबसूरत–सी आवाज वाली लड़की ने फोन पर कहा है कि हमने ‘सेल–प्रमोशन’ के लिए कुछ ‘सरप्राइज–गिफ्ट’ देने का फैसला किया है और बहुत सारे टेलीफोन नंबरों में से ‘एट रेंडम’ चुनने पर एक आपका ‘लकी नंबर’ निकला है। इस लिए प्लीज इस.....इस.....इस....पते पर आकर अपना ‘सरप्राइज–गिफ्ट’ ले जाएं, तब से खिली–खिली सी लग रही पत्नी अब मेरी बात सुनकर पूरी तरह से खिल गई।
निर्दिष्ट पते पर पहुँच कर देखा कि खूबसूरत–सी आवाज वाली लड़की दिखने में भी खूबसूरत है। और ऊपर से स्वागत भरी मुस्कान.....लगा कि जैसे वह हमारा ही इंतजार कर रही थी। उसने लगभग वही फोन वाली बात दोहराई। कुछ जानकारी पूछ कर एक फार्म में भरी और हमें फार्म समेत एक और दूसरी खूबसूरत लड़की के हवाले कर दिया। उस लड़की ने हमारा छोटा–सा ‘गिफ्ट–पैक’ मंगवाकर सामने टेबल पर रखा और अपने ही जैसे खूबसूरत अंदाज में बताना शुरू किया कि वे एक बीमा–कंपनी के ‘सेल प्रमोशन एजेंट’ हैं और उनके पास ऐसी कई बीमा स्कीमें हैं ,जिनमें ‘इनवेस्टमेंट’ करने पर इतना...इतनी.....छूट मिलेगी.....अगर अभी खड़े पैर पैसे नहीं हैं तो सिर्फ़ ‘रजिस्ट्रेशन’ भी करवाया जा सकता है फिर भले ‘प्रीमियम’ तीन महीने बाद जमा करवा दें....
मैंने खुद कभी मछली नहीं पकड़ी लेकिन सुना जरूर है कि मछली को फाँसने के लिए काँटें? पर ‘चारा’ लगाया जाता है और हमारा ‘चारा’ सामने टेबल पर पड़ा था।
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