बचपन से लिखी गईं कविताओं को काव्य–संग्रह रूप में छपवाने का मालती का बहुत मन था। इस विषय में उसने कइ्र प्रकाशकों से संपर्क भी किया, किन्तु निराशा ही मिली। मालती कॉलेज में हिन्दी की प्रवक्ता के साथ–साथ अच्छी कवयित्री भी थी। काफी प्रयास के प्श्चात एक प्रकाशक ने मालती के काव्य–संग्रह का प्रकाशन कर ही लिया। मालती के कार्यरत कॉलेज के प्रेक्षागार में ही उसके विमोचन की तैयारी भी प्रकाशक ने अपनी ओर से कर दी।
आज कॉलेज के अनेक सहकर्मी सुबह से मालती को उसके संग्रह के प्रकाशक और मंत्री जी द्वारा प्रस्तावित विमोचन की बधाई दे रहे थे। मालती का मन नहीं था कि इस काव्य–संग्रह का विमोचन मंत्री जी करें। इसकी बजाय वह विमोचन किसी वरिष्ठ साहित्यकार द्वारा चाहती थी, ताकि साहित्य जगत में उसके प्रवेश को गम्भीरता से लिया जाए और इस संग्रह के बारे में चर्चा हो सके। किन्तु प्रकाशक ने उसे समझाया कि इस काव्य–संग्रह का मंत्री जी द्वारा विमोचन होन पर पुस्तकों की बिक्री अधिक होगी। लाइब्रेरी तथा सरकारी संस्थानों में मंत्री जी किताबों को सीधे लगवा भी सकते हैं। आगे इससे फायदा–ही–फायदा होगा।
देर शाम तक मंत्री जी अपने व्यस्त समय में से कुछ समय निकाल कर कॉलेज के प्रेक्षागार में तीन घण्टे देरी से पहुँचे। मंत्री जी के पहुँचते हलचल आरम्भ हुई और मीडिया के लोगों ने फ्लैश चमकाने शुरू कर दिए। संचालक महोदय मंत्री जी ने मालती की पुस्तक का विमोचन किया। विमोचन के पश्चात मालती ने उपस्थित दर्शकों की तालियों के साथ अपने संग्रह की प्रतियाँ अन्य विशिष्टजनों को भी उत्साह के साथ भेंट कीं। अपने इस पहले काव्य–संग्रह के प्रकाशक से मालती बहुत खुश थी।
मंत्री जी ने पुस्तक का विमोचन करने के बाद उसे मेज पर ही रख लिया और उपस्थित जनों को सम्बोधित करते हुए लम्बा भाषण दे डाला। मालती सोच रही थी कि अब मंत्री जी उसे विमोचन की बधाइयाँ देंगे, पर मंत्री जी तो अपनी ही रौ में बहते हुए स्वयं का स्तुतिगान करने लगे। सम्बोधन के पश्चात मंत्री जी सबका अभिवादन स्वीकार करते हुए बाहर निकल गए। मंत्री जी और उनके स्टॉफ ने विमोचित पुस्तक को साथ ले जाने की जहमत भी नहीं उठाई। मालती उस प्रेक्षागार मं अब अकेली रह गई थी। उसने चारों ओर देखा तो जिस जोश में उसने खद्दरधारी लोगों केा पुस्तकें भेंट की थीं, उनमें से तमाम पुस्तकें कुर्सियों पर पडी हुई थीं और कई तो जमीन पर बिखरी हुई थीं। वह एक बार उन पुस्तकों को देखती और दूसरे क्षण उसके कानों में प्रकाशक के शब्द गूंजते कि मंत्री जी द्वारा विमोचन होने पर पुस्तकों की बिक्री अधिक होगी।
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