गुंडों से बचती-बचती युवती तेजी से भागती जा रही थी कि तभी सामने एक बंगला नज़र आया। भयभीत युवती ने फौरन बैल बजा दी। दरवाजा एक पुलिसवाले ने खोला। पुलिस को देखते ही युवती भीतर तक कांप गयी। उसका बदन पसीने-पसीने हो गया और शरीर सूखे पत्ते की तरह कांपने लगा। पुलिस की बर्बरता के किस्से उसकी आँखों के सामने सजीव हो उठें गुंडों से पीछा छुड़ाकर फिर एक गुंडें के हत्थे चढ़ गयी। उसने साहस बटोरा और तेजी से दौड़ने लगी कि तभी पुलिस वाले की बलिष्ठ भुजाओं ने उसे थाम लिया। युवती को चक्कर आया और वह बेहोश होकर गिर पड़ी। होश आया तो देखा पुलिस वाला दूर कुर्सी पर बैठा था। उसे देखते ही युवती हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगी, ‘‘भगवान के लिए मुझे छोड़ दो, जाने दो मुझे।’’
पुलिस वाला उसके नज़दीक आया और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बड़े नरम स्वर में बोला, ‘‘बेटी, इसे अपना घर समझो और अपने डर का कारण बताकर कानून की मदद करो।’’ पुलिस का नया रूप देख कर युवती भीतर तक गद्गद हो उठी।
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