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सुकेश साहनी
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रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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समझौता
सर यहाँ सामने वाली दीवार पर हम इटैलियन वॉल स्टै्रक्चर बनाएंगे और इधर कोने में स्पेशली आपके एक्सपोर्ट ऑफिस के लिए हमने एक सिक्स फिट हाइट आर्टिस्टिक स्टेच्यू बनाया है। जो आपके प्रोडक्ट की प्रोग्रैस को शो करेगा। सागर साहब आपकी घूमने वाली कुर्सी के पीछे की दीवार पर लेटेस्ट फैशन की विनाइल वॉल टायल्स और उसके ठीक चार फुट ऊपर फ़ेब्रिक पेनेलिंग जिस पर शीशे के पैनेल में आपके प्रोडेक्ट शो किए जाएंगे।
इधर इम्पोर्टेड सोफे और उस कोने में कम्प्यूटर टेबल जहाँ आपकी सेक्रेटरी....और हाँ ये आपकी टेबल, ये तो बाबाआदम के जमाने की लगती है। आजकल तो टोटल ग्लास टेबल एंड वुडन अटैचमेंट का चलन है सर। ‘‘मगर ये टेबिल तो अभी पिछले साल की.....’’
नो नो। सर ये आपकी कम्पनी अब एक्सपोर्ट का काम करेगी और हमारी इन्टीरियर डेकोरेशन कम्पनी की रेपोटेशन का भी सवाल है। हम एडजेस्टमेंट नहीं कर सकते। डेकोरेशन के मामले में हमारी कम्पनी का प्लान ही लास्ट एंड फाइनल होता है सो सामने वाली दीवार हमें वुडन पेनेलिंग पर विदेशी मॉडल के....नहीं यहाँ तो हमारे स्व. पिताजी का चित्र हमने लगाया है ?...सो।
सौरी.....सौरी....सर ये बूढ़ों....सौरी सर बड़े–बूढ़ो....मेरा मतलब है बुजुर्गों के चित्र तो सर और वो भी इस तरह के ओल्ड फैशन कौस्टयूम में। सर ये तो हमारे ग्लोबल ऑफिस की इमेज को डैमेज कर डालेगा।
‘मगर आज इन्हीं की बदौलत तो हम यहाँ तक पहुँच पाए है मि. तनेजा। मैं इनके सम्मान के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकता।
‘श्योर श्योर व्हाइ सर। कीजिए न सम्मान !’
पूरा सम्मान कीजिए मगर माफ कीजिए सर मैं पूरे ‘सम्मान’ के साथ ये फोटो आपकी गाड़ी में रखवाए देता हूँ। घर में इन्हें आप सम्मान के साथ लगाइए सागर साहब बेबस से अपने स्व. पिता जी की तस्वीर को देख रहे थे।
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