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विश्वास

‘‘सैमुएल की बीमारी क्या है, जानते हो?’’ सैमुएल के शुभचिन्तक विलिम्स ने एक अन्य शुभचिन्तक जॉन मथाई से कहा।
‘‘मुझे नहीं मालूम। हाँ, इतना जरूर जानता हूँ कि डॉक्टर तक यह नहीं जान सके हैं कि उसे कौन–सी बीमारी है।’’
‘‘लेकिन मुझे मालूम है।’’ विलियम्स ने यह बात इतने आत्मविश्वास के साथ कही कि मथाई के पास इस पर विश्वास करने के सिवाय कोई चारा नहीं था। फिर भी उसने पूछ ही लिया–
‘‘तुम्हें मालूम है! सचमुच।’’
‘‘जानना चाहते हो?’’
‘‘बेशक।’’
‘‘उसे कोई बीमारी नहीं है, मथाई। सच तो यह है कि सैमुएल को यह पता लग गया है। कि उसकी पत्नी के फ़ेंक के साथ संबंध हो गए है।’’ विलियम्स ने खुलासा किया।
‘‘ओह! तो यह बात हैं। जब उसे यह मालूम ही हो गया है, तो वह अपनी पत्नी के साथ रहता ही क्यों है? अच्छा है कि दोनों अलग हो जाएँ।’’ जॉन मथाई ने अपनी ओर से बीमारी का इलाज सुझाया।
‘‘काश! वह ऐसा कर सकता। दरअसल, सैमुएल की सेहत इतनी खराब हो चुकी है। कि उसे अपनी पत्नी की जरूरत है। उसके बिना तो एक एकदत अकेला पड़ जाएगा।’’ विलियम्स ने चिन्ता व्यक्त की।
‘‘चलो, तुम्हारी यह बात मानी। लेकिन फिर उसकी पत्नी भली सैमुएल के साथ क्यों रह रही हैं? वह फ़ेंक के पास ही क्यों नहीं चली जाती। फ़ेंक भी तो अकेला ही रहता है।’’ जॉन ने इलाज के लिए एक अन्य नुस्ख़ा सुझाया।
विलियम्स बोला– ‘‘ऐसा भी नहीं हो सकता मथाई। जानते हो क्यों? क्योंकि उसे डर है कि कहीं फ़ेंक उसे दगा न दे दे।’’
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