गतिविधियाँ
 
 
   
     
 
  सम्पर्क  
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com
 
 
 
लघुकथाएँ - देश - सुभाष नीरव

मुस्कराहट

वह यानी सदानंद बाबू तकलीफ में होते हो उनकी कोशिश रहती कि उनकी तकलीफ किसी को मालूम न हो। वह अंदर चुपचाप अपनी तकलीफों से जुझते रहते और उनसे मुक्ति का रास्ता तलाशते रहते। लेकिन यह उनकी आदत में शुमार हो चुका था या उनके चेहरे बुनावट ही ऐसी थी कि तकलीफों के बावजूद उनके होठों पर हर समय–उठते–बैठते, सोते–जागते, खाते–पीते, बोलते–बतियाते, आते–जाते चौबीसों घंटे एक मुस्कराहट खेलती रहती। ऐसा नहीं था कि उनके चेहरे पर कोई आभा, दमक या चमक जैसी कोई बात थी। वह तो एक पिटा हुआ चेहरा था। बचपन से लेकर अब तक तकलीफों की अंधी सुरंग के बीच से घिसटते हुए बाहर निकलने की कोशिश में संलग्न चेहरा। अपनी गरीबी, भुखमरी के बीच मामूली–सी नौकरी को बचाए रखने की चिंता और मुट्ठीभर आय से पूरे घर की गाड़ी को किसी तरह चलाए रखने की इच्छा में लगातार पिटता हुआ चेहरा।
करीबी लोग उन्हें देखकर हैरान–परेशान हुआ करते कि एक पिटे हुए चेहरे पर मुस्कराहट की तितली हर समय कैसे और क्यों कर नाचती रहती है। उनके चेहरे को देखकर लोग क्या सोचते हैं, वह नहीं जानते थे और न ही कभी जानने के लिए फिक्रमंद दिखे। लेकिन, यह भी सच ही था कि वह स्वयं अपनी इस मुस्कराहट से बेखबर थे। उन्हें कभी मालूम ही नहीं हुआ कि उनके होठों पर चौबीसों घंटे मुस्कराहट जैसी कोई चीज चस्पा रहती है। और,एकाएक उनके दिन फिरे। हुआ यूं कि कुछ कर्ज पकड़कर कुछ दफ्तर से लेकर स्वंय को फाकामस्ती जैसी हालत में डाल कर उन्होंने अपने नालायक इकलौते बेटे को साउदी अरब भेज दिया। कुछ ही वर्षो में आया और आते ही उसने दो–तीन गाडि़याँ  डालकर छोटी–सी टूरिस्ट कंपनी खोल ली। बेटे के कहने पर उन्होंने अपनी पक्की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और टूरिस्ट कंपनी का काम देखने लगे। अब वह मारूति से आते–जाते और दिनभर अपने छोटे से वातानुकूलित कमरे में बैठ कर टेलीफोन की घंटियाँ  सुनते रहते। देखते ही देखते, बुढ़ापे में जवानी वाली कड़ावत उन पर चरितार्थ होने लगी। कहने का मकसद यह है कि अब उनके चेहरे पर एक नूर था और सेहत भी पुख्ता हो गई थी। लोग उन्हें देखकर हैरान होते। चमकता,दमकता और आभायुक्त चेहरा अब उनके पास था, पर लोगों ने देखा, और बड़े गौर से देखा, हर वक्त उनके होठों पर खेलने वाली मुस्कराहट अब वहाँ  नहीं थी।


-0-

 
Developed & Designed :- HANS INDIA
Best view in Internet explorer V.5 and above