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लघुकथाएँ - देशान्तर - अभिमन्यु अनत
पाठ

इंग्लैंड का एक भव्य बाहर। प्रतिष्ठित अंग्रेज परिवार का हेनरी। उम्र अगले क्रिसमस पर आठ वर्ष। स्कूल से लौटते ही वह मां के पास पहुँचकर उससे बोला, ‘‘मम्मी, कल मैंने एक दोस्त को अपने यहाँ खाने पर बुलाया है।’’
‘‘सच! तुम तो बड़े सोशल होते जा रहे हो।’’
‘‘ठीक है न मां?’’
‘‘हाँ,बेटे, बहुत ठीक है। मित्रों का एक–दूसरे के पास आना–जाना अच्छा रहता है। क्या नाम है तुम्हारे दोस्त का?’’
‘‘विलियम।’’
‘‘बहुत सुंदर नाम है।’’
‘‘वह मेरा बड़ा ही घनिष्ठ है मां। क्लास में मेरे ही साथ बैठता है।’’
‘‘बहुत अच्छा।’’
‘‘तो फिर कल उसे ले आऊँ न मां?’’
‘‘हाँ,हेनरी, जरूर ले आना।’’
हेनरी कमरे में चला गया। कुछ देर बाद उसकी मां उसके लिए दूध लिए हुए आई। हेनरी जब दूध पीने लगा तो उसकी मां पूछ बैठी, ‘‘क्या नाम बताया था अपने मित्र का?’’
‘‘विलियम।’’
‘‘क्या रंग है विलियम का?’’
हेनरी ने दूध पीना छोड़कर अपनी मां की ओर देखा। कुछ उधेड़बुन में पड़कर उसने पूछा, ‘‘रंग? मैं समझा नहीं।’’
‘‘मतलब यह कि तुम्हारा मित्र हमारी तरह गोरा है या काला?’’
एक क्षण चुप रहकर दूसरे क्षण पूरी मासूमियत क साथ हेनरी ने पूछा, ‘‘रंग का प्रश्न जरूरी है क्या मां?’’
‘‘हाँ, हेनरी, तभी तो पूछ रही हूँ।’’
‘‘बात यह है मां कि उसका रंग देखना तो मैं भूल ही गया।’’

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