दूसरी रचना ‘निर्णायक कदम’ के रचनाकार चन्द्रभूषण सिंह ‘चन्द्र’ हैं। यह रचना कर्ज में डूबे देवचरण के दुख दर्द की कहानी है। उसकी मन:स्थिति, उसके अंतर्मथन का जीवंन अंकन किया गया है। संवेदना का जागरण प्रारंभ से ही हो जाता है और उसकी धारा अंत तक प्रवहमान रहती है–बल्कि अंत में तो अत्यधिक गहन गंभीर होकर चरम स्थिति प्राप्त कर लेती है। संवेदना के बाहुल्य,संवेदना के संचार व गहराई से इस रचना में काव्य के कुछ गुण,गीत की कुछ विशेषता आ जाते हैं। एक गहन कारुण्य का भाव जाग्रत हो जाता है, असहायता की एक गहरी अनुभूति होती है। रचना में शाश्वतता के गुण वर्तमान हैं। शीर्षक भी ठीक ही कहा जाएगा पर इससे भी ज्यादा तीखा ध्वन्यात्मक व्यंग्यात्मक शीर्षक चुना जा सकता था जो भावानुरूप तथा ज्यादा मर्मस्पर्शी हो रेखा को छू सकता था। रचना उच्च द्वितीय श्रेणी में रखी जा सकती है–प्रथम श्रेणी को भी छू सकती है।