पाँचवी रचना रामयतन प्रसाद यादव की ‘धमकी’ है। रचनाकार ने दहेज प्रथा की दारुण विभीषिकाओं से करुणा–विगलित हो इस रचना की रचना की है। कम से कम शब्दों में सारी स्थिति, घटना व पात्रों का यथार्थ परक प्रभावशाली जीवन अंकन करके रचनाकार ने पाठकों को भी उस स्थिति–अनुभूति में अनायास सम्मिलित कर लिया है और उस स्थिति से उत्पन्न विवशता का, कारुण्य का आस्वादक बना दिया है। दहेज के चलते, अपनी बच्ची के भविष्य की सुरक्षा के लिए गरीब साधनहीन रिक्शा चालक दम्पत्ति ब्लडबैंक में अपना खून बेचने को बाध्य–विवश हो जाते हैं। इस तरह दहेज का राक्षस, दामाद की लिप्सा–लोलुपता, लड़की के माता पिता से खून की मांग करता है, उन्हें आंशिक शहादत के लिए मजबूर कर देता है। आज दहेज की बलिवेदी पर कितने मूल्यवान जीवनों की क्रूरतापूर्वक कुर्बानी हो रही है–इस मर्मवेधी तथ्य को रचनाकार ने बड़ी सघन व तीव्र संवेदन–शीलता से उजागर किया है फिर भी रचना प्रथम कोटि की नहीं बन पड़ी है, सृजनात्मक ऊर्जा या प्रेरणा का वेग व प्रवाह उतना गहन व तेज नहीं हो पाया है इसलिए इसे निश्चित रूप से द्वितीय कोटि में स्थान मिलेगा।