बालक एक हाथ में किताब लेकर क,प ,ड,च जैसे अक्षरों को पढ़ रहा है ।उसने कुछ नए अक्षर सीख लिए हैं ,इसलिए उसके मन में पढ़ने की बड़ी उमंग है ।किताब बड़ी हो , चाहे छोटी हो ,अक्षर पढ़ने के लिए तो दोनों उसके मन बराबर ही हैं ।
बालक बोला –‘पिताजी ! मैं पढ़ रहा हूँ।’
बालक क्या पढ़ रहा है ,इसको जाने समझे बिना ही पिताजी ने कहा-“पढ़ा,पढ़ा,भला,तुम क्या पढ़ोगे? पढ़ने के लिए इतनी बड़ी किताब क्यों ली है ?जाओ, ‘बाल पोथी’ पढ़ो !”