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सुकेश साहनी
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रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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चोर

मैं अचानक उस अंगूर बेचनेवाले बच्चे के सिर पर आ खड़ा हुआ।
‘‘क्या भाव है?’’
बच्चा चौंक पड़ा और उसके मुँह की तरफ उठते हुए हाथ से अंगूर के दो दाने गिर गए।
‘‘नहीं साहब! मैं खा नहीं रहा था.....।’’

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