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सुकेश साहनी
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रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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ब्रैम्पटन लायब्रेरी, कनाडा में हिल्दी राइटर्स गिल्ड के सहयोग से 9 अक्तुबर -11 को बजे एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इस अवसर पर सत्रारम्भ करते हुए डॉ शैलजा सक्सेना ने लघुकथा का महत्त्व बताते हुए हिमांशु की लघुकथा ‘चोट‘ का उदाहरण दिया। रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ ने लघुकथा का तात्त्विक विवेचन करते हुए सोदाहरण अपनी बात प्रस्तुत की। लघुकथा में शीर्षक, विषयवस्तु आदि का महत्त्व बताते हुए घटना को लघुकथा का कच्चा माल बताया ।घटना लघुकथा का वैसा ही रूप है जैसे लकड़ी या पत्थर का टुकड़ा बिना किसी तराश के केवल टुकड़ा ही है कोई निर्धारित वस्तु नहीं। मैं कैसे पढ़ूँ -सुकेश साहनी, माँ का कमरा-श्याम सुन्दर अग्रवाल, सरोज परमार-मानुस -गंध और अखिल रायजादा-पहला संगीत का वाचन करके लघुकथाका विश्लेषण किया ।
 
 

साप्ताहिक हिन्दी टाइम्स के मुख्य सम्पादक श्री सुमन कुमार घई ने अपनी लघुकथा विवशता का पाठ किया, जिसे सभी श्रोताओं ने मुक्त कण्ठ से सराहा। इस अवसर पर आशा वर्मन, लता पान्डे,भुवनेश्वरी पान्डे, इन्दु रायज़ादा,विजय विक्रान्त, अनिल पुरोहित, शैलजा सक्सेना, राकेश तिवारी, अनिल पाराशर, निर्मल सिद्धू, अनिल पुरोहित, कृष्णा वर्मा, प्राण किरतानी, पाराशर गौड़, प्रमिला भार्गव आदि ने काव्य -पाठ भी किया ।

 
 

 
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