अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. इंदरजीत कौर ने समाज में लेखकों की सकारात्मक भूमिका तथा अच्छे साहित्य की आवश्यकता पर जोर दिया।
सम्मेलन का दूसरा सत्र ‘जुगनूआँ दे अंग-संग’ अमृतसर से लगभग दस किलोमीटर दूर पिंगलवाड़ा सोसायटी के मानांवाला कम्प्लैक्स में हुआ। देर शाम शुरू हुआ यह सत्र रात के बारह बजे तक चला। इस सत्र में श्री सुरेश शर्मा व सूर्यकांत नागर (इन्दौर), सुभाष नीरव व बलराम अग्रवाल (दिल्ली), ऊषा मेहता दीपा (चंबा), अशोक दर्द (डलहौजी), डॉ. शील कौशिक व डॉ. शक्तिराज कौशिक (सिरसा) व श्याम सुन्दर अग्रवाल (कोटकपूरा) ने हिन्दी में अपनी लघुकथाएँ पढ़ीं। हरप्रीत सिंह राणा व रघबीर सिंह महिमी (पटियाला), जगदीश राय कुलरीआँ व दर्शन सिंह बरेटा (बरेटा), बिक्रमजीत ‘नूर’ (गिद्दड़बाहा), निरंजन बोहा (बोहा), विवेक (कोट ईसे खाँ) रणजीत आज़ाद काँझला (धूरी), अमृत लाल मन्नन, हरभजन खेमकरणी व डॉ. श्याम सुन्दर ‘दीप्ति’(अमृतसर) ने पंजाबी में अपनी रचनाएँ पढ़ीं। पढ़ी गई रचनाओं पर अन्य के साथ भगीरथ परिहार (कोटा), सुकेश साहनी (बरेली) व डॉ.सुखदेव सिंह सेखों (अमृतसर) ने विशेष रूप से अपने विचार व्यक्त किए।
प्रस्तुति -श्याम सुन्दर अग्रवाल