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पंजाबी त्रैमासिक पत्रिका ‘मिन्नी’, ‘पंजाबी साहित्य अकादमी, लुधियाना’ व ‘पिंगलवाड़ा चैरिटेबल सोसायटी, अमृतसर’ के संयुक्त तत्त्वाधान में ‘बीसवाँ अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन’ 8 अक्तूबर, 2011 को पिंगलवाडा काम्प्लैक्स, अमृतसर(पंजाब) में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ. इंदरजीत कौर(अध्यक्षा, पिंगलवाड़ा सोसायटी), डॉ. सुखदेव सिंह खाहरा, डॉ. इकबाल कौर, डॉ. अनूप सिंह(उपाध्यक्ष, पंजाबी साहित्य अकादमी) व बलराम अग्रवाल (दिल्ली) ने की। पत्रिका ‘मिन्नी’ के संपादक-मंडल के सदस्य श्याम सुन्दर अग्रवाल ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश व दिल्ली से सम्मेलन में पधारे अतिथियों का स्वागत करते हुए इस सम्मेलन के उद्देश्य संबंधी जानकारी दी।
कार्यक्रम के प्रारंभ में पंजाबी-आलोचक डॉ. दरिया ने आपना आलेख ‘इक्कीवीं सदी दे पहिले दहाके दी मिन्नी कहाणी, समाजिक ते सभ्याचारक संदर्भ’ पढ़ा। उन्होंने कहा कि किसी भी सामाजिक परिवर्तन पर प्रतिकर्म सबसे पहले लघुकथा में ही व्यक्त होता है।श्री भगीरथ परिहार ने अपने आलेख ‘मुठ्ठीभर आसमान के लिए: लघुकथा में स्त्री विमर्श’ में लघुकथा-साहित्य में प्रस्तुत स्त्री की विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों का वर्णन किया। दोनों आलेखों पर डॉ. अनूप सिंह, सुभाष नीरव व डॉ. बलदेव सिंह खाहरा ने अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम के अगले चरण की शुरुआत पत्रिका ‘मिन्नी’ के अंक-93 के विमोचन से हुई। इसके साथ ही डा. श्याम सुन्दर दीप्ति व श्याम सुन्दर अग्रवाल द्वारा संपादित दो लघुकथा-संकलनों ‘विगत दशक की पंजाबी लघुकथाएँ’ (हिन्दी) व ‘दहाके दा सफ़र’ (पंजाबी) का विमोचन अध्यक्ष-मंडल की ओर से किया गया। इसी चरण में सुकेश साहनी व रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ द्वारा संपादित संकलन ‘मानव मूल्यों की लघुकथाएँ’ तथा बलराम अग्रवाल की ओर से संपादित पुस्तक ‘समकालीन लघुकथा और प्रेमचंद’ का विमोचन भी किया गया।

प्रथम-सत्र का आखरी चरण सम्मान समारोह का रहा। समारोह दौरान श्री सूर्यकांत नागर (इन्दौर) को ‘माता शरबती देवी स्मृति सम्मान’, श्री सुकेश साहनी (बरेली) को ‘श्री बलदेव कौशिक स्मृति सम्मान’, श्री हरभजन सिंह खेमकरनी (अमृतसर) को ‘लघुकथा डॉट कॉम सम्मान’, श्री निरंजन बोहा (बोहा, पंजाब) को ‘प्रिं. भगत सिंह सेखों समृति सम्मान’ तथा पत्रिका ‘अणु’ के संपादक श्री सुरिंदर कैले (लुधियाना) को ‘गुरमीत हेयर समृति सम्मान’ से नवाजा गया। पुस्तक विमोचन व सम्मान समारोह में श्रीमती अनवंत कौर, तलविंदर सिंह, अरतिंदर संधू, डॉ. शेर सिंह मरड़ी व हरिकृष्ण मायर ने अध्यक्ष-मंडल के साथ सहयोग किया।

अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. इंदरजीत कौर ने समाज में लेखकों की सकारात्मक भूमिका तथा अच्छे साहित्य की आवश्यकता पर जोर दिया।
सम्मेलन का दूसरा सत्र ‘जुगनूआँ दे अंग-संग’ अमृतसर से लगभग दस किलोमीटर दूर पिंगलवाड़ा सोसायटी के मानांवाला कम्प्लैक्स में हुआ। देर शाम शुरू हुआ यह सत्र रात के बारह बजे तक चला। इस सत्र में श्री सुरेश शर्मा व सूर्यकांत नागर (इन्दौर), सुभाष नीरव व बलराम अग्रवाल (दिल्ली), ऊषा मेहता दीपा (चंबा), अशोक दर्द (डलहौजी), डॉ. शील कौशिक व डॉ. शक्तिराज कौशिक (सिरसा) व श्याम सुन्दर अग्रवाल (कोटकपूरा) ने हिन्दी में अपनी लघुकथाएँ पढ़ीं। हरप्रीत सिंह राणा व रघबीर सिंह महिमी (पटियाला), जगदीश राय कुलरीआँ व दर्शन सिंह बरेटा (बरेटा), बिक्रमजीत ‘नूर’ (गिद्दड़बाहा), निरंजन बोहा (बोहा), विवेक (कोट ईसे खाँ) रणजीत आज़ाद काँझला (धूरी), अमृत लाल मन्नन, हरभजन खेमकरणी व डॉ. श्याम सुन्दर ‘दीप्ति’(अमृतसर) ने पंजाबी में अपनी रचनाएँ पढ़ीं। पढ़ी गई रचनाओं पर अन्य के साथ भगीरथ परिहार (कोटा), सुकेश साहनी (बरेली) व डॉ.सुखदेव सिंह सेखों (अमृतसर) ने विशेष रूप से अपने विचार व्यक्त किए।


प्रस्तुति -श्याम सुन्दर अग्रवाल

 
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