ऐसे थे तुम
कमलेश भारतीय लघुकथा के जाने माने हस्ताक्षर है। हाल ही में उनका तृतीय लघुकथा संग्रह ‘ऐसे थे तुम’ प्रकाश में आया है। इसे भारतीय जी का प्रतिनिधि लघुकथा संग्रह भी कहा जा सकता है क्योंकि इसमें उनकी समस्त चर्चित लघुकथाओं का समावेश हुआ है। पेपरबैक्स में प्रकाशित इस संग्रह का मूल्य पचास रुपए है। भूमिका के रूप में डॉ0 मधुसूदन पाटिल का वक्तव्य उल्लेखनीय है– इस दो रंगी दुनिया के दो रूपों–रोमांस और यथार्थ से इन रचनाओं का ताना–बाना बुना गया है। मध्यवर्गीय मानसिकता का द्वंद्व भी यही है। एक तरफ सामाजिक रिश्तों का रोमांस, दूसरी ओर अमानवीय प्रक्रिया को गतिशील करने वाला अर्थतंत्र। इसी यथार्थ के ऊहापोह से उपजी ये लघुकथाएँ, वर्तमान जीवन और समाज की छोटी लेकिन तल्ख सच्चाइयाँ हैं। ये सहजत: रूपायित करती हैं–रिश्तों के रिश्ते दर्द को, करुणा की अंतर्धारा को, व्यंग्य की कसक को। छद्म को उद्घाटित करती सांकेतिकता संकेत करती है कि थोड़े लिखे को ज्यादा समझना।
‘ऐसे थे तुम’–कमलेश भारतीय,प्रकाशक–अमन प्रकाशन 1041,अर्बन एस्टेट–II हिसार–125005, प्रथम संस्करण: अप्रैल 2008,मूल्य : पचास रुपए।
कमलेश भारतीय का पता–शारदा मोहल्ला,नवा शहर दोआबा–पंजाब। वर्तमान पता–1034–बी,अर्बन एस्टेट– II ,हिसार।
( संग्रह की कुछ महत्वपूर्ण लघुकथाएं शीघ्र ही लघुकथा डॉट कॉम पर प्रकाशित होंगी–संपादक )
संरचना
पिछले कई वर्षों से लघुकथा के क्षेत्र में किसी स्वतंत्र पत्रिका के अभाव को महसूस किया जा रहा था। इस शून्य को भरने का महत्वपूर्ण कार्य डॉ. कमल चोपड़ा के द्वारा किया गया है। संरचना –1 का प्रवेशांक इस दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। कमल चोपड़ा अपने कुशल संपादन द्वारा अनेक सम्पादित लघुकथा संग्रह लघुकथा जगत को दे चुके है। रचनाओं के चयन में सतर्कता एवं निष्पक्षता कमल चोपड़ा के संपादन की विशेषता रही है। इस दृष्टि से उनके द्वारा संपादित लघुकथा संग्रहों ने विधा के विकास में उल्लेखनीय योगदान किया है।
संरचना –1 (प्रवेशांक) में लघुकथा के उल्लेखनीय हस्ताक्षर डॉ. सतीश दुबे, डॉ. वेदप्रकाश अमिताभ, बलराम अग्रवाल, भगीरथ, कमल चोपड़ा सहित सात लेख संगृहीत हैं। देश भर से 77 लघुकथाकारों की अनेक लघुकथाएँ यहाँ उपलब्ध हैं। इस परिचयात्मक टिप्पणी में सबका उल्लेख करना संभव नहीं है। कमल चोपड़ा ने पिछले 6–7 वर्षों की उल्लेखनीय रचनाओं को प्रस्तुत करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
संरचना : वर्ष :1 अंक : 1(प्रवेशांक) संपादक –कमल चोपड़ा, 1600/114 त्रिनगर, दिल्ली–110035, फोन–011 27381899. वार्षिक मूल्य : 60 रुपए।
शोध दिशा
अप्रैल जून 2008 का अंक लघुकथांक के रूप में सामने आया है। डॉ. गिरिराजारण अग्रवाल के कुशल संपादन में प्रकाशित अंक ध्यान खींचता है। लघुकथा रचना प्रक्रिया–सुकेश साहनी,लघुकथा का निबंध–जयप्रकाश मानस के रूप में दो आलेख संकलित हैं। कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर, विष्णु प्रभाकर, कृष्णानंद कृष्ण, रमेश बतरा, हरिशंकर परसाई, सतीशराज पुष्करणा, विष्णु नागर, अशोक भाटिया, अशोक अंजुम, महेश राजा, महेश दर्पण, फजल इमाम मल्लिक, सुभाष नीरव, डॉ. शकुतंला, मधुदीप, शकर पुणतांबेकर सहित अनेक प्रतिष्ठित लघुकथा लेखक अपनी सशक्त लघुकथाओं के साथ यहाँ उपस्थित है। पत्रिका में लघुकथाओं का प्रकाशन बहुत साज–सज्जा के साथ किया गया है जो प्रशंसनीय हैं। लघुकथा के कुछ महत्वपूर्ण हस्ताक्षरों की अनुपस्थिति ध्यान खींचती हैं। अंक संग्रहणीय है।
शोध दिशा, अंक :अप्रैल–जून 2008, संपादक : डॉ.गिरिराजशरण अग्रवाल ,हिंदी साहित्य निकेतन, 16 साहित्य विहार, बिजनौर–246701 (उ0प्र0 ) फोन–01342–2632232,09368141411