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चर्चा में |
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Nov, 2007 |
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राजस्थान साहित्य एकादमी : लघुकथा समारोह |
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राजस्थान साहित्य एकादमी एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा राजस्थान में पहली बार लघुकथा समारोह आयोजित किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि श्रीमती ‘डॉ.सुलोचना रांगेय राघव’ अध्यक्षता राजस्थान साहित्य अकादमी की अध्यक्ष डॉ. श्रीमती अजीत गुप्ता ने की। इसका संयोजन प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बद्री प्रसाद पंचोली ने किया।
उद्घाटन सत्र में श्रीमती सुलोचना जी ने लघुकथा विधा पर समुचित ध्यान दिए जाने की आवश्यकता बताई और कहा कि लघुकथा पर ऐसे आयोजन हर प्रांत और शहर में होने चाहिए। उन्होंने स्वर्गीय रागेय राघव सी जुड़ी स्मृतियाँ ताजा की। प्रबुद्ध प्राध्यापिका एवं लेखिका के रूप में अपने अनुभवों को श्रोताओं से साझा किया।
सारस्वत अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध कथा लेखक श्री भगवान अटलानी ने कहा, आज लोगों के पास समय का अभाव है फिर भी कथ्यशिल्प और बनावट में कसी हुई लघुकथा पाठक को झकझोरती हैं और उसे सोचने पर विवश करती है।
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विशिष्ट अतिथि एवं सास्कृतिक संस्थान के अध्यक्ष श्री ओंकार सिंह लखावत जी ने अपने उदबोधन में लघुकथा आंदोलन को नई दिशा देने की आवश्यकता बताई। आयोजन में अनेक विद्वानों ने मत व्यक्त किया कि लघुकथा का इतिहास मनुष्य के पढ़ने और लिखने जितना ही पुराना है।
राजस्थान में लघुकथा : दिशा और दशा पर बोलते हुए डॉ. संदीप अवस्थी ने बताया कि राज्य में मौर्य कर्णसवा (कोटा) बारदौली शिलालेख प्राचीन भारत के काल के हैं, उनपर उस समय की कई महत्वपूर्ण कथाएं अंकित हैं। ठाकुर केसरी सिंह बारहठ के सोरठे ‘‘चेतावनी रा. चूगतयाँ’’ जिन्हें 19 शताब्दी में लिखा गया, उसे पढ़कर मेवाड़ का महाराणा अंग्रेजों के दिल्ली दरबार में नहीं गया। डॉ. अवस्थी ने खलील जिब्रान, चेखव, मो. आन की लघुकथाओं का जिक्र किया।
अध्यक्षीय उदबोधन ने डॉ.श्रीमती अजीत गुप्ता ने पंचतंत्र, जातक कथाओं, बोधकथाओं का उल्लेख करते हुए वर्तमान में लिखी जा रही लघुकथाओं को महत्वपूर्ण बताया लेकिन उन्होंने इसे साहित्य की मुख्य धारा में पूरी तरह स्थान न दिए जाने पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान के भगवान अटलानी, डॉ. रामकुमार घोटड़ डॉ. मुद्गल, जैबा रशीद, डॉ. संदीप अवस्थी, राम जैसवाल आदि अनेक साहित्यकार अच्छी लघुकथाएं लिख रहे है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आज हम संवेदना शून्य हो रहे है, संवेदनाओं को पुनर्स्थापित करने का कार्य लघुकथा ही कर सकती है।
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लघुकथा आंदोलन में गत 27 वर्षों से अनवरत अपनी आहुति दे रहे श्री सुकेश साहनी का फैक्स पर भेजा गया संदेश डॉ. संदीप अवस्थी ने पढ़कर सुनाया तो सुदूर राजस्थान में बैठे कई साहित्यकारों ने भाई सुकेश को आत्मीयता से स्मरण किया। याद दिलाया गया कि भाई सुकेश साहनी लघुकथा के क्षेत्र में अपने निरंतर प्रयासों से लघुकथा का झंडा बुलंद किए हुए हैं और अपनी मजबूत पहचान स्थापित की है।
संयोजक एंव अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली के अथक प्रयासों के कारण ही यह समारोह काफी ज्ञानवर्धक रहा और अजमेर ही नहीं वरन् राजस्थान के सभी महत्वपूर्ण शहरों, गाँव–कस्बों से पधारे साहित्यकारों, श्रोताओं एवं महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय,अजमेर के शोधार्थियों की लघुकथा विषयक जानकारी में इजाफा करने वाला एक ऐसा सफल आयोजन रहा, जिसकी प्रशंसा करने से विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे कुलपति मोहनलाल जी दीपा भी खुद को नहीं रोक पाए।
समारोह के समापन में वरिष्ट साहित्यकारों रघुराज सिंह हाड़ा, विजयदान देथा तथा युवा रचनाकार शिविर के प्रतिभागियों का सम्मान किया गया । इस अवसर पर राजस्थानी, पंजाबी, मलयालम, हिंदी, संस्कृत, सिंधी भाषाओं की लघुकथाओं का पाठ भी साहित्यकारों ने किया। इस आयोजन पर अकादमी शीघ्र ही एक लघुकथा संग्रह प्रकाशित करने जा रही है।
प्रस्तुति –डॉ. संदीप अवस्थी
66/26, न्यू कालोनी, रामगंज, अजमेर। |
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