गतिविधियाँ
 
 
   
     
 
  सम्पर्क  
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com
 
 
 
रहनुमा
वह बौना था। दूसरों की बनिस्बत इस बात को खुद समझता था। बच्चों को स्कूल, गाँव के मेहमानों को बस–अड्डे पहुँचाता। बदले में न–न करता हुआ जो मिलता, ले लेता। दूसरों के फायदे की बातें करता रहता.....अजी मेरा क्या है...
एक बार राजा राह भटककर वहाँ पहुँच गया, बोला, ‘‘मैं आप सबकी कुशलता जानने आया हूँ। कोई समस्या?’’
‘‘समस्या नहीं, समस्याएँ महाराज! पर पहले आपकी समस्या। पहले मैं आपको महल तक छोड़ आऊँ।’’ बौने ने पूरा मुआमला समझते हुए कहा।
‘‘नहीं, पहले आप लोग कहिए?’’ राजा को सभी की ओर देखते हुए पूछना पड़ा, मगर बौने ने ही सबका प्रतिनिधित्व किया।
‘‘सबसे बड़ी समस्या यही है कि हम लोग आप तक अपनी फरियाद नहीं पहुँचा सकते। महल का रास्ता बहुत लंबा है। जो छोटा रास्ता हे, साँपों और जहरीली झाडि़यों से भरा हुआ है।’’
‘‘ठीक है। इस वक्त तुम मुझे लंबे रास्ते से ही ले चलो। वहाँ चलकर तुम हम समाधान निकालेंगे।’’
महल पहुँचकर, राजा ने बौने को महल में बड़े ठाठ–बाट से रखा। समय गुजरने पर उसे योजना मंत्री बनाया।
पहली योजना के तहत जितना धन मिला, बौने ने सारा धन लगाकर लंबे रास्ते में भी जहरीली झाडि़याँ लगवा दीं। दुर्गंधयुक्त दम घोंटने वाले द्रव्यों का छिड़काव करवा दिया।
बौने के चेहरे से पूर्ववत् भोलापन झलकता था। वह अब भी इस तथ्य को नहीं भूला था कि गाँव में, अब भी उससे ज्यादा पढ़े–लिखे योग्य व्यक्ति मौजूद है।

*******

 
Developed & Designed :- HANS INDIA
Best view in Internet explorer V.5 and above