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लघुकथाएँ - देशान्तर - खलील जिब्रान (अनुवाद: सुकेश साहनी) |
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निर्माता - ख़्लील जिब्रान ( अनुवाद: सुकेश साहनी)
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एण्टीओक शहर के एक भाग को दूसरे से जोड़ने के लिए आसी नदी पर पुल बनाया गया था। इस काम के लिए प्रयोग में लाए बड़े–बड़े पत्थर पहाड़ों से खच्चरों की पीठ पर लादकर लाए गए थे।
पुल के तैयार होते ही एक स्तम्भ पर खोद कर लिख दिया गया था, ‘‘सम्राट एण्टीओक्स द्वितीय द्वारा निर्मित।’’ सभी लोग इस पुल द्वारा आसी नदी को पार करते थे।
एक शाम एक युवक ने, जिसे लोग सनकी कहते थे, नीचे उतर कर स्तम्भ पर खुदे को चारकोल से पोत दिया और उस पर लिखा, ‘‘इस पुल के लिए पत्थर पहाड़ों से खच्चरों द्वारा लाया गया। यह पुल नहीं उन खच्चरों की पीठ है ,जो सही मायनों में इस पुल के निर्माता हैं।’’
जब लोगों ने इसे पढ़ा तो कुछ हँसने लगे, कुछ को आश्चर्य हुआ और कुछ ने कहा, ‘‘अच्छा....तो ये उस सनकी लड़के का काम है।’’
तभी एक खच्चर ने दूसरे से हँसते हुए कहा, ‘‘तुम्हें याद है कितनी कठिनाई से हमने इन भारी भरकम पत्थरों को ढोया था? लेकिन आज तक लोग यही कहते हैं कि इस पुल का निर्माण सम्राट एण्टीओक्स ने कराया था।
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