एक सुहाने दिन एक लोमड़ ने अपने बच्चे को ऊँची पहाड़ी पर चढ़ा दिया फिर उसने बच्चों से कूदने को कहा ताकि वह एक नयी कला सीख सकें। लेकिन बच्चे को नीचे देखते हुए भी डर लग रहा था।
लोमड़ ने नीचे से कहा, ‘‘डरो मत, मैं तुम्हें लपक लूंगा’’ बच्चा कूद पड़ा। उसके हाथ–पैर चुटियल हो गए ,वज़ह थी कि उसका बाप लोमड़ उसके कूदते ही परे हट गया था। बच्चा दर्द और गुस्से से चिल्लाया, ‘‘तुमने मुझे धोखा क्यों दिया? क्या तुम बाप नहीं हो मेरे?
लोमड़ ने ताली बजायी और मुस्कराते हुए कहा, ‘हाँ,मैं तुम्हारा बाप हूँ, लेकिन तुम्हें किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए, अपने सगे बाप पर भी नहीं। यह पहला पाठ है, जो एक लोमड़ को सीखना ही चाहिए। इसे कभी भूलना मत।’’
अनुवाद सुकेश साहनी