एक दिन सुबह जंगल में शेर जागा ओर उसने अपनी शेरनी से कहा, ‘‘मैं जंगल का राजा हूँ।’’
‘‘जंगल का राजा तो बबर शेर है। ‘‘शेरनी ने कहा।
‘‘अब परिवर्तन होना चाहिए। चांद निकलने तक मैं जंगल के सभी जानवरोंका राजा बन जाऊँगा, ‘‘शेर ने कहा, ‘‘चाँद मेरे सम्मान में ही निकलेगा।’’
वह वहाँ से चल पड़ा और जंगल में घूमता हुआ बबर शेर की मांद के पास पहुँचा, ‘‘बाहर निकला, उसने गरज कर कहा, ‘‘और जंगल के राजा से मिलो।’’
माँद में बबर शेरनी ने अपने साथी को जगाया, ‘‘राजा तुम्हें मिलने आया है।’’
‘‘कैसा राजा?’’ बबर शेर ने नींद में ही पूछा ।
‘‘जंगल के जानवरों का राजा?’’
‘‘जंगल के जानवरों का राजा तो मैं हूँ।’’ बबर शेर ने गरजकर कहा और लपककर माँद में से बाहर निकला।
शेर और बबर शेर की भयानक लड़ाई हुई, जो सूरज डूबने तक चलती रही। जंगल के सभी जानवर उस लड़ाई में शामिल हुए–कुछ शेर की ओर से लड़े, कुछ बबर शेर की ओर से। कुछ एक भूल गए कि वे किसकी ओर से लड़ रहे हैं। कुछ दोनों की ओर से लड़े और कुछ एक सिर्फ़ लड़ने की खातिर लड़े।
‘‘हम क्यों लड़ रहे हैं?’’ आखिर किसी ने पूछा।
‘‘पुरानी व्यवस्था के लिए।’’
जब चाँद चढ़ा तो जंगल में मौतकी–सी चुप्पी छाई हुई थी। शेर के अलावा बाकी सब जानवर मर चुके थे। शेर इतना जख्मी हो चुका था कि अपनी जिन्दगी के आखिरी दिन गिन रहा था। उस समय वह उन मरे हुए जानवरों का राजा था।