नीले आसमान में मेघ की भेंट हंस से हुई। मेघ ने आत्मतुष्टि के भाव से हंस से कहा, ‘‘तुमने गौर किया होगा, मेरे दोस्त,तुममें और मुझमें कितनी समानता है। हम दोनों यहाँ नीले आकाश में उड़ते हैं।’’
‘‘ऐसे नहीं है,’’’ हंस ने जवाब दिया। ‘‘हम समान नहीं हैं। मैं हवा के खिलाफ चलता हूँ; तुम उसके साथ प्रणय–सूत्र में बँध गए हो।’’