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एतगार केरेत :अनुवाद–जितेन्द्र भाटिया

डैड ने मुझे बार्ट सिम्पसन का गुड्डा दिलवाने से मना कर दिया। मम्मा ने तो हाँ कर दी थी, लेकिन डैड ने कहा, नहीं। मैं बहुत बिगड़ता जा रहा हूं। उन्होंने कहा, ‘‘अब कोई बताए’’, उन्होंने मम्मा को डाँटा, ‘‘क्यों लेकर दिया जाए इसे वह गुड्डा ? तुम भी बस, इसके मुँह से रुलाई फूटी नहीं कि झट तैयार! डैड ने कहा कि मुझे पैसे की कोई कद्र नहीं है। और अगर अभी से यह कद्र पता न चली तो मैं फिर कब सीखूँगा? जिन बच्चों को माँगते ही झट से बार्ट सिम्पसन का गुड्डा मिल जाता है, वे बड़े होकर मवाली बनते हैं, दुकानों से सामान चुराते हैं, क्योंकि उन्हें मनचाही चीजों को आसानी से पा लेने की आदत पड़ चुकी होती है। इसलिए बार्ट सिम्पसन के गुड्डे की जगह उन्होंने मुझे चीनी मिट्टी का एक बेढंगा सुअर लाकर दिया जिसकी पीठ में एक लम्बी फाँक बनी हुई थी। अब मैं ठीक से बड़ा होऊँगा और मवाली नहीं बनूँगा।
हर सुबह अब मुझे चाहे कितना ही खराब क्यों न लगे, दूध का एक कम पीना पड़ता है। मलाई वाले कप का एक शेकेल मिलता है, बिना मलाई वाले का आधा। और अगर मैं फौरन उल्टी कर दूँ तो कुछ नहीं मिलता। सिक्कों को मैं सुअर में डालूँगा ।इतने पैसे हो जाएँगे कि वह हिलाने पर आवाज नहीं करेगा तो मुझे स्केटिंग करते बार्ट सिम्पसन का गुड्डा मिल जाएगा। डैड कहते हैं कि यही ठीक है, ऐसे मुझे कुछ सीखने का मौका तो मिलेगा।
सुअर वैसे है बहुत प्यारा। उसे छुओ तो उसकी नाक ठंडी–ठंडी लगती है और उसकी पीठ में शेकेल का सिक्का डालो तो वह मुस्कराता है। आधा शेकेल डालो तब भी वह मुस्कराता है। मैंने उसे नाम दिया है पैसेक्सन। उस आदमी के नाम पर जो कि बहुत पहले हमारे लेंटरबॉक्स में रहता था। और डैड बहुत कोशिश के बाद भी जहाँसे उसका लेबल उतार नहीं पाए थे। पेसैक्सन मेरे दूसरे खिलौनों की तरह नहीं है, वह बहुत शान्त है, क्योंकि उसके भीतर रोशनियां, स्प्रिंग और लीक होने वाली बैटरियाँ नहीं हैं। हाँ इतना ध्यान जरूर रखना पड़ता है कि कहीं वह टैबल से नीचे छलांग न लगा दे। ‘‘सम्भल के, पेसैक्सन! तुम चीनी मिट्टी के बने हो!’’ उसे झुककर फर्श की ओर ताकते देखकर मैं उससे कहता हूँ। वह मेरी ओर देखकर मुस्कराता है और बहुत धीरज के साथ इन्तजार करने लगता है कि मैं उसे हाथ में लेकर नीचे उतारूँ । जब वह मुस्कराता है तो मुझे उस बहुत प्यार आता है। हर सुबह सिर्फ़ उसके लिए ही मैं मलाई वाले दूध का कप पीता हूं, ताकि उसकी पीठ में शेकेल का सिक्का डालते हुए मुझे दिखाई दे सके कि उसकी उस मुस्कराहट में जरा भी फर्क नहीं आया है। ‘‘आई लव यू पेसैक्सन!’’ मैं उसे बताता हूं, ‘‘सच्ची,मैं तुम्हें मम्मा और डैड से भी ज्यादा प्यार करता हूँ और हमेशा करूँगा, फिर चाहे तुम दुकानें लूटो या कुछ भी करो! लेकिन अगर इस टेबल से नीचे कूदे तो बस, भगवान ही तुम्हें बचाए!’’
कल डैड आए, पेसैक्सन को टेबल से उठाया और उसे उलटकर बुरी तरह से हिलाने लगे। ‘‘सम्भल के डैड!’’ मैंने उनसे कहा, ‘‘पेसैक्सन के पेट में दर्द होने लगेगा!’’ लेकिन डैड बोले, ‘‘यह तो बिलकुल भी आवाज नहीं कर रहा! जानते हो योआवि, इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि कल तुम्हें तुम्हारा बार्ट सिम्पसन का स्केटिंग करने वाला गुड्डा मिलने वाला है!’’ ‘‘ग्रेट डैड!’’ मैंने कहा, ‘‘बार्ट सिम्पसन का वही वाला गुड्डा न? लेकिन पेसैक्सन को ऐसे मत हिलाओ! उसे जरा भी अच्छा नहीं लगता।’’ डैड ने पेसैक्सन को वापस टेबल पर रख दिया और मम्मा को बुलाने चले गए। जरा देर बाद वे मम्मा को एक हाथ से खींचते हुए भीतर आए। उनके दूसरे हाथ में हथौड़ा था। ‘‘देखा, मैंने ठीक कहा था!’’ उन्होंने मम्मा से कहा, ‘‘अब इस लड़के को चीजों की कद्र सीखने का मौका मिल रहा है! क्यों योआवि?’’ ‘‘हां, डैड!मैंने कहा, ‘‘लेकिन यह हथौड़ा किसके लिए है?’’ उन्होंने मम्मा से कहा, ‘‘यह तुम्हारे लिए है!’’ डैड ने हथौड़ा मेरे हाथ में देते हुए कहा, ‘‘लेकिन जरा सम्भलकर!’’ ‘‘ठीक है!’’ मैंने कहा और सचमुच बहुत सम्भालकर उस हथौड़े को मैंने हाथ में पकड़ लिया। लेकिन जब कुछ मिनट गुजर चुके तो डैड तंग आकर बोले, ‘‘चलो भी अब, फोड़ डालो इस सुअर को!’’
‘‘क्या?’’ मैंने पूछा, ‘‘पेसैक्सन को!’’
डैड ने कहा, ‘‘चलो फोड़ो इसे जल्दी! तुमने बहुत मेहनत से इतने दिनों में इसे पूरा भरा है और अब इसके बदले तुम्हें बार्ट सिम्पसन मिलना ही चाहिए!’’
पेसैक्सन मेरी ओर देखकर मुस्कराया। उसकी उदास मुस्कराहट चीनी मिट्टी के उस सुअर की थी, जिसे पता चल गया हो किउसका अन्त आ चुका है। भाड़ में जाए बार्ट सिम्पसन! क्या मैं अपने दोस्त के सिर पर हथौड़ा मारूँगा? ‘‘मुझे बार्ट सिम्पसन नहीं चाहिए!’’ मैंने डैड को हथौड़ा लौटाते हुए कहा, ‘‘मेरे लिए पेसैक्सन ही बहुत है!’’
‘‘तुम समझते क्यों नहीं!’’ डैड बोले, ‘‘यही ठीक तरीका है। तुम्हें कुछ सिखाने के लिए ही हम यह कर रहे हैं! लाओ, तुम कहो तो मैं ही इसे फोड़ देता हूं।’’ डैड ने हथौड़ा उठा भी लिया था और मैं मम्मा की घबरायी आँखों और पेसैक्सन की थकी हुई मुस्कराहट को देखकर सोचने लगा था कि अब मुझे ही कुछ करना है। अगर मैंने कुछ नहीं किया तो सब खत्म हो जाएगा। ‘‘डैड !’’ मैंने उनकी टाँग को भींच लिया। ‘
‘क्या है, योआवि?’’ डैड ने पूछा। उनका हथौड़ा अब भी हवा में उठा हुआ था।
‘‘मुझे एक शेकेल और चाहिए! प्लीज!!’’ मैं गिड़गिड़ा रहा था, ‘‘कल मुझे दूध पीने के बाद एक शेकेल और देना, इसमें डालने के लिए, फिर उसके बाद हम इसे फोड़ेंगे, प्रॉमिस!’’
‘‘एक और शेकेल?’’ डैड ने मुस्कराकर हथौड़ा टेबल पर रख दिया। ‘‘देा? मैंने इस लड़के को कितना समझदार बना दिया है।’’ ‘
‘हाँ, समझदार!’’ मैंने कहा, ‘‘कल सुबह कल....’’ मेरी आवाज गले में फँसती जा रही थी।
उन दोनों के कमरे से चले जाने के बाद मैंने पेसैक्सन को कसकर भींचा तो मेरी रुलाई निकल गई। पेसैक्सन कुछ नहीं बोला, सिर्फ़ मेरी हथेलियों के बीच दुबका वह रह–रहकर काँपता रहा। ‘‘घबराओ मत!’’ मैंने उसके कान में फुसफुसाकर कहा, ‘‘मैं तुम्हें बचाऊँगा।’’
रात में मैं इन्तजार करता रहा कि बाहर के कमरे में बैठे डैड कब टी वी बन्द करके सोने जाते हैं। फिर उसके बाद मैं चुपचाप उठा पेसैक्सन के साथ बाहर पोर्च में निकल आया। अँधेरे में काफी देर तक चलने के बाद हम झाड़ियों वाले एक मैदान में पहुँचे।
‘‘सुअरों को खेत बहुत अच्छे लगते हैं।’’ मैंने पेसैक्सन को जमीन पर लिटाते हुए कहा, ‘‘खास तौर पर झाड़ियों वाले खेत! तुम्हें यहाँ बहुत अच्छा लगेगा!’’ मैं जवाब का इन्तजार करता रहा लेकिन पेसैक्सन कुछ नहीं बोला। और जब मैंने अलविदा कहने के लिए उसकी नाक को छुआ तो उसने आखिरी बार उदासी से मेरी ओर देखा। उसे पता था कि अब इसके बाद वह कभी मुझे देख नहीं पाएगा।
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