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साँस लेने की आजादी

रात में बारिश हुई थी और अब काले–काले बादल आसमान में इधर से उधर घूम रहे हैं; कभी–कभी छिटपुट बारिश की खूबसूरत छटा बिखेरते हुए।
मैं बौर आए सेब के पेड़ के नीचे खड़ा हूँ और साँसें ले रहा हूँ। सिर्फ़ सेब का यह पेड़ ही नहीं, बल्कि इसके चारों ओर की घास भी आर्द्रता के कारण जगमगा रही है; हवा में व्याप्त इस सुगंधि का वर्णन शब्द नहीं कर सकते। मैं बहुत गहरे श्वाँस खींच रहा हूँ और सुवास मेरे भीतर तक उतर आती है। मैं आँखें खोलकर साँस लेता हूँ, मैं आँखें मूंदकर साँस लेता हूँ, मैं यह नहीं बता सकता कि इनमें से कौन–सा तरीका मुझे अधिक आनंद दे रहा है।
मेरा विश्वास है कि यह एकमात्र सर्वाधिक मूल्यवान स्वतंत्रता है, जिसे कैद ने हमसे दूर कर दिया है; यह साँस लेने की आजादी है, जैसे मैं अब ले रहा हूँ। इस संसार मेरे लिए यह फूलों की सुगंध भरी मुग्ध कर देने वाली वायु है, जिसमें आर्द्रता के साथ–साथ ताजगी भी है।
यह कोई विशेष बात नहीं है कि यह छोटी–सी बगीची है, जो कि चिडि़याघर में लटके पिंजरो–सी पाँच मंजिले मकानों के किनारे पर है। मैंने मोटर साइकिलों के इंजन की आवाज, रेडियो की चिल्ल–पों, लाउडस्पीकरों की बुदबुदाहट सुनना बंद कर दिया है। जब तक बारिश के बाद किसी सेब के नीचे साँस लेने के लिए स्वच्छ वायु है, तब तक हम खुद को शायद कुछ और ज्यादा जिंदा बचा सकते हैं।
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