गतिविधियाँ
 
 
   
     
 
  सम्पर्क  
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com
 
 
 
लघुकथाएँ - देशान्तर - खलील ज़िब्रान

वज्रपात - ख़लील ज़िब्रान (अनुबाद-सुकेश साहनी)


तूफानी दिन था। एक औरत गिरजाघर में पादरी के सम्मुख आकर बोली, ‘‘मैं ईसाई नहीं हूँ, क्या मेरे लिए जीवन की नारकीय यातनाओं से मुक्ति का कोई मार्ग है?’’
पादरी ने उस औरत की ओर देखते हुए उत्तर दिया,‘‘नहीं, मुक्ति मार्ग के विषय में मैं उन्हीं को बता सकता हूँ, जिन्होंने विद्दिवत् ईसाई धर्म की दीक्षा ली हो।’’
पादरी के मुंह से यह शब्द निकले ही थे कि तेज गड़गड़ाहट के साथ बिजली वहाँ आ गिरी और पूरा क्षेत्र आग की लपटों से घिर गया।
नगरवासी दौड़े–दौड़े आए और उन्होंने उस औरत को तो बचा लिया, लेकिन तब तक पादरी अग्नि का ग्रास बन चुका था।
-0-
                                                                                      -0-

 
 
Developed & Designed :- HANS INDIA
Best view in Internet explorer V.5 and above