(एक)
मैंने जिंदगी से कहा, ‘‘मैं मृत्यु को बोलते हुए सुनना चाहता हूँ।’’
तब जिंदगी ने अपने स्वर में परिवर्तन कर अंहकार भरे अंदाज में जोर से कहा, ‘‘लो, अब उसे सुनो।’’
(दो)
हजारों साल पहले मेरे पड़ोसी ने मुझसे कहा, ‘‘मुझे जिंदगी से नफरत है; क्योंकि इसमें दुख के सिवा कुछ भी नहीं है।’’
और कल कब्रिस्तान से गुजरते हुए मैंने जिंदगी को उसकी कब्र पर नृत्य करते देखा।
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