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लघुकथाएँ - देशान्तर - पीटर लैंग

पीटर लैंग- गुलाबों को समर्पित जीवन

घर के बाहर बगीचे में गुलाबों के रंगबिरंगे फूल खिले थे। बस, उन्हें देखते ही मार्टिना ने फैसला कर लिया था कि उन्हें यही घर खरीदना है। वर्षो से उनकी दिली ख्वाहिश थी कि वह किसी ऐसे बंगले में रहे, जिसके साथ बड़ा बगीचा जुड़ा हो और उस बगीचे में गुलाब के फूल खिले हों।
उसके पति डेविड ने आगे बढ़कर बंगले का दरवाजा खोला और ड्राइंगरूम की घंटी बजाई। आधा मिनट बाद,एक अधेड़ महिला, जिसकी आँखें रोने से सूजी हुई थीं, उन दोनों के सामने आकर खड़ी हो गई, ‘‘आप शायद बंगला देखने आई हैं। शौक से, आराम से देखिए।’’ और,यह कहकर वह उनके साथ हो ली।
बंगले के दूसरे कमरे भी ड्राइंगरूम की तरह बड़े और साफ–सुथरे थे। दीवारों पर पेंट ताजा लगा था। फर्नीचर भी नया था, और करीने से लगा था। कमरे हवादार थे और उनमें रोशनी भी खूब आती थी। मगर मार्टिना केा सबसे ज्यादा खुशी यह देखकर थी कि उसकी भाँति बंगले की मालकिन को भी गुलाबों से बड़ा प्रेम था। बंगले के बगीचे में गुलाबों की ही प्रधानता थी। गहरे लाल रंग के गुलाब,जो उसे सबसे ज्यादा भाते थे। यूँ सारा बंगला बड़ा खुशनुमा था लेकिन उसका सबसे ज्यादा खुशनुमा हिस्सा था, उसका बगीचा। पीछे की तरफ, सामने की सड़क पर आने–जाने वाले लोगों की निगाहों से परे एक सायेदार जगह थी जहाँ बैठ कर दोनों बगीचों के प्राकृतिक सौंदर्य का उपभोग कर सकते थे।
खटकने वाली सिर्फ़ एक ही चीज थी, एक पेड़ के नीचे जमा खाद का ढेर। पत्नी ने कहा, ‘‘ऐसी चीजों को छिपाकर रखने के लिए एक स्टोररूम बनाना पड़ेगा।’’
अचानक मार्टिना ने मकान–मालकिन से कहा, ‘‘यह बंगला हमें पंसद है। हमें आशा है कि यह यहां उतने ही सुखी रहेंगे, जितने आप....’’ वह चुप हो गई। उसे मालूम न था कि मकान–मालकिन विवाहित हैं या नहीं और बंगले में उनके साथ कौन रहता आया हैं?
‘‘शुक्रिया,’’ मकान–मालकिन के रुँधे कंठ से कहा, ‘‘मैं और मेरे पति यहाँ बड़े सुख से रहे।’’
‘‘गुलाबों पर आपने काफी मेहनत की है,’’ मार्टिना ने कहा।
‘‘इसका सारा श्रेय मेरे पति को जाता है। उनका सारा जीवन गुलाबों के लिए समर्पित था। इस समय भी वे....’’ कहकर वे बीच में ही चुप हो गईं। भावावेश के कारण, आगे उनसे बोला नहीं गया। उनके नेत्र सजल हो आए थे, और वे हिचकियाँ लेने लगी थीं।
बंगले से बाहर आते समय, दोनों की निगाह एक बार फिर खाद के ढेर पर पड़ी ,खाद का वह ढेर,जिसमें मिले मकान–मालकिन के पति के अवशेष जो इस समय भी खाद के रूप में गुलाबों को फलने–फूलने में मदद दे रहे थे।
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