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महाशय ‘ब’ स्टेज कारीगरों,मिस्त्रियों और ड्राइवरों के साथ हँस–बोल कर बातचीत करते थे। इन लोगों के साथ बातचीत के दौरान उन्हें अक्सर उन्हें अक्सर ऐसे सवालों का जवाब देना पड़ता था, जिनसे कि अन्यथा उनका सामना नहीं हो सकता था। एक कारीगर का सवाल था, ‘‘मौत कैसे आती होगी?’’
‘‘आप जानते हैं,’’ महाशय ‘ब’ बोले, ‘‘जीवन के साथ कुछ ऐसा है, हृदय के कपाट खुलते हैं और बन्द होते हैं, फिर खुलते हैं और बन्द होते हैं और एक दिन हठात् फिर ये कपाट नहीं खुलते।’’
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