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लघुकथाएँ - देश - दीपक घोष
रोटी

चार वर्ष का लड़का सड़क किनारे बैठा लम्बी सिसकियों के साथ रो रहा था। उसके आँसुओं ने उसके गंदे चेहरे पर धारियाँ बना दी थी। लड़का कुछ देर रुकता और फिर रोने लगता। एक व्यक्ति बहुत देर से रोते हुए लड़के को देख रहा था। उसके अंदर इच्छा हुई कि जाने आखिर यह लड़का इतनी देर से रो क्यों रहा है।
व्यक्ति ने लड़के वे समीप आकर पूछा–क्यों रो रहा है तू क्या हुआ तुझे, लड़का सिसकते -सिसकते बोला भूख लगी है।’’ व्यक्ति आश्चर्य से बोला भूख लगी हैं। अरे तेरे हाथ में तो रोटी है खाता क्यों नहीं।
लड़के ने व्यक्ति की ओर देखते हुए कहा ‘‘खा लूँगा तो खत्म हो जाएगी।’’

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