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असभ्य नगर (लघुकथा -संग्रह)
समीक्षक-डा० हृदय नारायण उपाध्याय

कथा साहित्य के शैलीगत क्रमिक विकास का महत्त्वपूर्ण सोपान 'लघुकथा' आज लोकप्रिय प्रतिष्ठित विधा बन चुकी है।इस विधा को गति एवं दिशा देने में जिन महत्त्वपूर्ण लघुकथाकारों का नाम लिया जा सकता ; उनमें रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' उल्लेखनीय हैं।शास्त्रीयता के आडम्बरों से निरपेक्ष इनकी लघुकथाओं में परिमार्जित दृष्टि एवं सहज अभिव्यक्ति का आभास मिलता है।आम मध्यमवगीर्य संवेदनशील मानव की वर्तमान जीवन की भागदौड़ एवं कशमकश से दो- चार होने की सहज कलात्मक अभिव्यक्ति ही ‘हिमांशु’ जी की लघुकथाओं की पहचान है।
'असभ्यनगर' हिमांशु जी की ६२ लघुकथाओं का एक ऐसा ही संग्रह है ;जिसमें जीवन और समाज के उन समग्र पक्षों का उदघाटन किया गया है ;जिनसे एक जागरूक मनुष्य दो- चार होता रहता है। रचनाकार ने अनुभूति की सच्चाई को पूर्ण जिम्मेदारी के साथ उसके सही सन्दर्भों में कलात्मक अभिव्यक्ति देने की कोशिश की है ; जो पाठकों को सोचने और विचारने पर मज़बूर करती हैं।इस संग्रह की कुछ लघुकथाएँ तो कालजयी हैं, जैसे –ऊँचाई ,खुशबू ,धर्मनिरपेक्ष, गंगा ,वफा़दारी ,चक्रव्यूह ,असभ्यनगर आदि। भाव एवं विचार का सही सन्तुलन एवं कलात्मक गठन की उत्कृष्टता ने इन लघुकथाओं को विश्व की किसी भी भाषा की उत्कृष्ट लघुकथाओं की कोटि में ला खड़ा किया है।
इस संग्रह में जीवन और समाज के हर पक्ष को बड़ी बारीकी से देखा और परखा गया है।जीवन और समाज की विसंगतियों एवं समय के कटु यथार्थ से साक्षात्कार कराती ये लघुकथाएँ लगता है हम , आप ,सबका देखा एवं महसूस किया सच हैं।धर्म के नाम पर की गई ठगी ,राजनैतिक भ्रष्टाचार ,साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की साजिश हो अथवा समाज सुधार के नाम पर धोखा ,विवेकहीन स्वार्थान्धता की दौड़ हो अथवा रिश्तों के नाम पर पहुँचाने वाली आत्मीय चोट ,हर कदम पर एक सहज और संवेदनशील मनुष्य ही आहत होता है।यह दर्द इस संग्रह की तमाम लघुकथाओं में महसूस किया जा सकता है।आश्चर्य है 'सृष्टि की सर्वोत्तम रचना(?)कहलाने वाले इंसान से अधिक वफा़दार तो जानवर और पशु-पक्षी हैं।' इस सत्य को ‘हिमांशु ‘जी ने पूरी व्यंग्यात्मक तल्खी के साथ उभारा है।रचनाकार एक सफल व्यंग्यकार भी हैं;जिसकी झलक –चट्टे-बट्टे ,मुखौटा,व्यवस्था ,उपचार ,प्रवेश-निषेध ,काग-भगौड़ा,खलनायक,नयी सीख,प्रदूषण ,अर्थ-परिवर्तन आदि लघुकथाओं में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
समग्रतः लघुकथा साहित्य में यह संग्रह अपनी विशिष्ट पहचान रखता है।इस संग्रह की अनेक लघुकथाओं का पंजाबी गुजराती उर्दू में अनुवाद भी हो चुका है।इस संग्रह में प्रकाशित होने से पूर्व ये लघुकथाएँ विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।बुनावट की सहजता भाव एवं विचार का सही सन्तुलन ,अनुभव की सार्वजनीनता एवं ईमानदार दायित्वबोध इस संग्रह की विशेषता है।सुन्दर प्रकाशन एवं मनभावन आवरण के लिए अयन प्रकाशन नई दिल्ली एवं चित्रकार हरि प्रकाश त्यागी बधाई के पात्र हैं।

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असभ्यनगर(लघुकथा-संग्रह)लेखक--रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु'
अयन प्रकाशन 1/20 ,महरौली , नई दिल्ली -110030 ; पृष्ठ 80 ; मूल्यः50 रुपए
 
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