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कोठी वाले इलाके की पिछली गली में चार कुत्ते बड़ी देर से चक्कर लगा रहे थे कि बंगले की खिड़की से किसी ने एक रोटी गिरायी।
पहला कुत्ता,जो चारों से तगड़ा था, ने दौड़कर रोटी झपट ली। दूसरा, जो पहले की गर्दन दबोच ली और पंजे से उसके मुहँ की रोटी को छीनने का प्रयत्न करने लगा।
तीसरा कुत्ता भी जवान ही था काफी दुर्बल ! रोटी तक पहुँचने में वह अक्षम, बेचारा जोर-जोर से भूँकने लगा।
चौथा कुत्ता, जो बिल्कुल बूढ़ा हो चुका था और रोटी पाने में किसी प्रकार भी सक्षम न था,सो दूर बैठा हाँफता रहा और रोटी के लिए लार टपकाता रहा ।
इतने में एक पाँचवा कुत्ता वहाँ आया जो सज्जन कुत्ते -सा दीखता था। उसने बूढ़े कुत्ते से पूछ लिया, “क्या माजरा है भाई?”
वृद्ध उठ खड़ा हुआ और अकड़कर दार्शनिक-मुद्रा में पाँचवे कुत्ते से बोला, “ अरे होगा क्या जी? साले कुत्ते हैं !”
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