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दिशा्
‘‘बहुत दुख की बात है,’’ चूहा बोला, ‘‘दुनिया दिन–ब–दिन छोटी होती जा रही । पहले यह इतनी बड़ी थी कि मुझे डर लगता था। मैं दोैड़ता रहा था और जब आखिर दूर मुझे अपनी बाई और दाहिनी ओर दीवारें दिखाई दीं तो मुझे खुशी हुई थी। लेकिन लंबी दीवारें इतनी तेजी से एक–दूसरे की ओर सिमट रही हैं कि मैं कब का आखिरी छोर पर पच चुका हूँ और व कोने में वह चूहेदानी रखी है जिसकी ओर मैं बढ़ता जा रहा हूँ,
‘‘तुम्हें दिशा भर बदलने की जरूरत हैं,’’ बिल्ली बोली और उसे खा गई।

अनुवाद:सुकेश साहनी

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