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लघुकथाएँ - देश - जावेद आलम
तकनीक का धमाका

तकनीकी इन्कलाब की बदौलत बड़ी गाडि़यों के साथ बाइक तक में नए–नए सिस्टम आने लगे थे। बाइक पर हवा की रफ्तार से उड़ते, उसने नए लेसर पावर के बारे में सोचा जो इस नए मॉडल में हाल ही इंट्रोड्यूस कराया गया था। इस पावर की मदद से वह अपने आगे जा रही हल्की गाडि़यों को एक–दो फुट तक दाएं–बांए कर, अपने लिए रास्ता बना सकता था। आगे चलने वाली कोई छोटी–मोटी गाड़ी साइड नहीं दे रही हो तो इस किरण शक्ति द्वारा आप उसे अपनी राह से कुछ इधर–उधर कर सकते हैं।
थोड़ी देर बाद ही उसे अपने आगे बाइक सवार नज़र आया। वह रोड डिवाइडर की रेलिंग से लगभग सटा हुआ हवा से बातें कर रहा था। इसने भी अपनी गाड़ी उसके पीछे डाल दी और यकायक हवा के साथ उसे विचार आया कि अगर वह अपनी किरण से इस बाइक सवार को ज़रा भी दाएँ तरफ़ खिसका दे तो वह रेलिंग में घुस जाए। हे भगवान! यह मैं क्या सोच रहा हूँ? तभी जैसे किसी ने उसे जरा–सा दाएँ खिसका दिया। धमाके की गूँज के अलावा उसे कुछ भी याद न रहा।

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