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लघुकथाएँ - देश - मुकीत खान
भीख

‘‘ऐ टिकट कहां है तेरा.....!’’ ट्रेन के दरवाजे पर बैठे पन्द्रह वर्षीय बालक से रेलवे पुलिस के दो जवानों ने सवाल किया।
‘‘साब टिकट नहीं लिया....!’’ उसने डरते–डरते कहा। बालक के चेहरे पर मासूमियत थी।
‘‘तो क्या तेरे बाप की गाड़ी है... जो मुफ्त में यात्रा कर रहा है...चल रुपया निकाल जेब से....!’’ एक जवान ने घुड़की लगाई।
‘‘साब पैसे होते तो टिकट न ले लेता....!’’ लड़के की आंखों में आंसू थे। गाड़ी अपनी स्पीड से दौड़ी जा रही थी।
‘‘अच्छा... .स्साला पूरा फोकटा है....बगैर टिकट यात्रा कर रहा है। ठहर अगला स्टेशन आने दो! दो लट्ठ पड़ेगे न....सही हो जाएगा....!’’ दोनो जवानों ने एक साथ उसे फटकारा।
‘‘साब....मुझे छोड़ दो....मैं चोर–उचक्का नहीं हूं....मजबूर हूं...मेरी सौतेली मां मुझे बहुत मारती है इसलिए घर से भागकर अपने मामा के वहां नासिक जा रहा हूं...’’ लड़के ने गिड़गिड़ाते हुए रेलवे पुलिस के दोनों जवानों के पांव पकड़ लिए। ट्रेन में बैठे अन्य यात्रियों को उस लड़के पर दया आ गई किन्तु कोई भी उन जवानों के मुंह नहीं लगना चाहता था।
दोनों जवानों के चेहरों पर मुस्कुराहट थी। उन्होंने आंखों ही आंखों में कुछ तय किया फिर उस लड़के से कहा, ‘‘ठीक है....हम तुम्हें एक शर्त पर छोड़ेगे। हमारा एक काम करना होगा..।’’
‘‘साब...आप जो कहेंगे....मैं करूंगा....लेकिन आप मुझे मारना मत...।’’लड़के ने मासूम लहजे में कहा।
इमातपुरी स्टेशन पर गाड़ी के रुकते ही रेल्वे पुलिस के दोनों जवान उसे लेकर बाहर आ गए। एक ओर ले जाकर उन्होंने उसका शर्ट फाड़ दिया। लड़का जवानों की इस हरकत से असमंजस की स्थिति में था।
‘‘अब मुझे अगली बोगी में भीख मांगनी है...हम भी उसी बोगी में रहकर तुझ पर नजर रखेगे....भीख में जरा भी लापरवाही की तो हम तेरी अगले स्टेशन पर खाल उधेड़ देंगे.....!’’ एक जवान ने उसे धमकाते हुए समझाया।
लड़के ने बेबसी से दोनों को देखा....एक बारगी उसका मन हुआ भाग ले किन्तु पकड़े जाने और फिर पुलिस की मार का सोच वह सहम सा गया।
ट्रेन के स्टेशन से छूटने से पहले दोनों जवानों ने उसे अगली बोगी में चढ़ने का इशारा किया और खुद भी उसमें चढ़ गए।
‘‘भगवान के नाम पर कुछ दे दो बाबा....!’’ उस मासूम लड़के ने अपने आंसू पोंछते हुए एक वृद्ध व्यक्ति के आगे हाथ फैलाकर गुहार लगाई।
ट्रेन अपनी मंजिल की ओर तेजी से बढ़ी जा रही थी....बोगी में सफर कर रहे यात्रियों में से जिससे जो बन पड़ा उतनी भीख लड़के को दी। उधर दरवाजे पर खड़े दोनों जवानों ने आपस में बातचीत की। ‘‘छोरा...तो बड़ा काम का निकला...!’’ एक अधेड़ महिला ने पास बैठे अपने पति से कहा।
‘‘क्या करते हो....पेट के लिए ही तो वह यह सब करना पड़ता है....’’ पति ने उसका जवाब दिया।
उन दोनों की बात लड़के ने भी सुनी....वह मन ही मन बुदबुदाया।
‘‘कभी–कभी दूसरों के पेट के लिए भी यह सब करना पड़ता है....!’’

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