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लघुकथाएँ - देश - कुलदीप चेतनपुरी
भूख-1

कक्षा में भोजन प्रणाली का पाठ शुरू करने से पहले अध्यापक ने सबसे आगे बैठे सरदारों के बेटे को इशारा करते पूछा, ‘बता हैप्पी भूख क्या होती है?’
हैप्पी हाथ में पकड़े रोटी के डिब्बे को नीचे रख चुपचाप खड़ा हो गया। हर सवाल का जवाब देने वाले मानीटर हैप्पी को आज भूख वाला सवाल समझ न आया। कुछ देर बाद जब अध्यापक ने फिर कहा, ‘‘आप में से किसी को सही–सही पता है कि भूख क्या होती है। कोई बताए?’’ तो सब बच्चे नजर झुका कर बैठ गए। इससे पहले कि अध्यापक कुछ बोलता, कक्षा में अक्सर पीछे बैठने वाला फीके मजदूर का लड़का बुद्दू उठा और हैप्पी के पास पड़ा रोटी का डिब्बा उठा कर, उसमें से रोटी खाता बोला, ‘‘मास्टरजी, भूख यह होती है।’’
और अध्यापक बुद्दू की तरफ हैरानी भरी नजरों से देखता ही रह गया जैसे बुद्दू ने उसे अभ्यास से भूख की परिभाषा समझा दी हो।

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