स्कूल से आई बोनी की अध्यापिका की भेजी हुई स्लिप देखकर उसके तनबदन में आग लग गई। वह किसी हिस्टीरिया के मरीज़ की तरह चीखी, बोनी....!
बोनी बालकनी के फर्श पर अपनी मिनी कार चला रहा था। वह कार के पहिये को दूसरे हाथ से घुमाता उसके सामने आ खड़ा हुआ मासूम सूरत लिये हुए कि मम्मी इतना क्यों चीख रही है।
‘‘यह क्या है?’’
मम्मी के हाथ में पकड़े, कागज को देखकर वह भोलेपन से बोला, ‘‘मैडम का लेटर’’मैंने ही तो आपको अभी दिया था।’’
‘‘इसमें तेरी शिकायत है।’’ कभी न मारने वाला हाथ अचानक बोनी के चेहरे पर चाँटा मार बैठा। उस चाँटे को बोनी तो एक ना समझ की तरह हजम कर गया लेकिन उसकी स्वयं की आँखें पीड़ा से बिलबिला कर नम हो आईं, ‘‘तू नीरव के पास क्लास में बैठता है? तू ने उसके पास कोई खिलौना देखा था?’’
‘‘हाँ।’’ मासूम बोनी चॉटे की मार को एक क्षण में भूल खिल उठा। उसकी आँखों में चुलबुली चमक दौड़ गई, ‘‘हाँ मम्मी! इतना बड़ा रोबोट था उसका बदन दबाते ही उसकी आँखों से ‘‘रेड लाइट’’ निकलती थी। वह खट्–खट् चलने लगता था।’’ बोनी स्वयं भी मशीन की तरह तनकर ठुमक–ठुमक कर चलने लगा।
‘‘तुझे वह बहुत अच्छा लगा?’’ उसने दाँत पीसते हुए पूछा। ‘‘हाँ, बहुत अच्छा।’’ उसने हाथ फैलाकर बताया।’’ मुझे भी दिला दो न ऐसा रोबोट।’’ उसके चेहरे पर सारा लालच व आकर्षण रोबोट के लिए भर उठा।
‘‘अभी दिलाती हूँ तुझे रोबोट।’’कहते हुए उसका गुस्सा फट पड़ा, ‘‘ले रोबोट, ले रोबोट।’’ उसके हाथ बोनी को बुरी तरह पीटने लगे। बोनी रोए जा रहा था।’’ मम्मी, मम्मी। मुझे क्यों मार रही हो?’’
‘‘तू चोरी करेगा? मेरा बेटा चोर बनेगा? तू नीरव का रोबोट चोरी करेगा?’’
‘‘मम्मी, मैं रोबोट चोरी क्यों करूँगा? मैं चोर नहीं हूं। मैं चोर नहीं हूं।’’ हिचकियों के बीच उसने रोते हुए कहा।
‘‘तेरी टीचर ने यह ‘स्लिप’ भेजी है जिस पर लिखा है तू नीरव का खिलौना चोरी करके घर ले आया था?’’
वह अपने आँसू पोंछते हुए फिर बोला, ‘‘मम्मी। मैं चोर नहीं हूं। कल आपके सामने ही तो स्कूल से आकर मैंने अपना बैग साफ किया था।’’
उसे भी यह बात याद आ गई, ‘‘लेकिन तेरी टीचर ने तो इस ‘स्लिप’ में लिखा है कि तूने उनके सामने मान लिया था कि तूने बोनी का खिलौना चोरी किया है। क्या टीचर ने तुझे अपने पास बुलाकर कुछ पूछा था?’’
बोनी ने हिचकियों के बीच अपने लाल पड़े मुँह से कहा, ‘‘कल टीचर ने मुझे अपने पास बुला कर कुछ पूछा तो था लेकिन मम्मी वह तो इंग्लिश में पता नहीं क्या पूछे जा रही थी। मैं तो बस ‘यस–यस’ करता गया था।